जुर्माना लगाने के जेएनयू के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय पहुंचे कन्हैया

नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने 2016 में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए जाने की घटना के संबंध में विश्वविद्यालय की उच्चस्तरीय समिति द्वारा उन पर जुर्माना लगाने के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। संसद भवन पर 13 दिसंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के मामले में फांसी पर चढ़ाए गए अफजल गुरु की तीसरी बरसी पर विश्वविद्यालय में नौ फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
कुमार ने अधिवक्ता तरन्नुम चीमा के जरिये याचिका दायर की है। इस याचिका को न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ के समक्ष कल सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया गया है। जेएनयू की उच्चस्तरीय समिति ने 2016 में नौ फरवरी को कथित तौर पर भारत विरोधी नारेबाजी किये जाने की घटना के सिलसिले में कुमार पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी।
समिति ने घटना के सिलसिले में उमर खालिद को विश्वविद्यालय से निष्कासित करने और अनुशासन का उल्लंघन करने के लिये 13 अन्य छात्रों पर जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी। इन छात्रों ने तब दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अदालत ने विश्वविद्यालय को मामले को अपीलीय प्राधिकार के पास रखने को कहा था, जो समिति के फैसले की समीक्षा करेगी।
पांच जुलाई को विश्वविद्यालय ने घोषणा की कि समिति ने खालिद और कुमार के खिलाफ अपने फैसले को बरकरार रखा जबकि कुछ मामलों में जुर्माने की रकम घटा दी गई। कुमार, खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को फरवरी 2016 में विवादास्पद कार्यक्रम के सिलसिले में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। तीनों जमानत पर बाहर हैं।

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