स्वामिनाथन समिति की मुख्य सिफारिसें फ़सल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज्यादा दाम किसानों को मिले, किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं।
नई दिल्ली। नीति आयोग ने एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को अव्यवहारिक घाषित कर दिया है। गौरतलब है कि अनाज की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने के मकसद से 18 नवंबर 2004 को केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट दी जिसमें किसानों की दुर्दशा को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। असल में स्वामीनाथ आयोग ने एमएसपी तय करने के लिए इनपुट कॉस्ट यानी लागत में खाद-बीज आदि पर खर्च, उसकी पूंजी या उधारी पर लगे ब्याज, जमीन के लिए यदि कोई किराया दिया गया है, इन सबको जोडऩे और किसान या उसके परिवार ने दिन भर जो श्रम किया उसका एक पारिश्रमिक तय कर इसे भी जोडऩे का फॉर्मूला दिया है। इस तरह से तय कुल लागत के 150 फीसदी तक एमएसपी रखने की सिफारिश की गई है लेकिन अब नीति आयोग इसे अव्यवहारिक बता रहा है आयोग की सिफारिश लागू करने के लिहाज से अव्यवहारिक है। हाल में देश के सात राज्यों में किसानों ने आंदोलन के साथ बंद का आह्वान किया था। इसमें 100 से ज्यादा किसान संगठन शामिल थे। किसानों का यह आंदोलन उनके उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर किया गया था। किसान संगठनों का आरोप है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के बारे तो मोदी सरकार बात ही नहीं कर रही है। 2006 में जो सिफारिशें स्वामीनाथन आयोग ने दी थीं उसे 11 सितंबर 2007 को ही पिछली कांग्रेस सरकार ने स्वीकार किया था। स्वामिनाथन समिति की मुख्य सिफारिसें फ़सल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज्यादा दाम किसानों को मिले, किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं। गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए। महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं। किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके।