बीजेपी पीडीपी गठबंधन टूटा, BJP के अलग होने के बाद महबूबा का इस्तीफा

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सहयोगी भाजपा के सरकार से नाता तोड़ने के बाद राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पिछले 40 साल में आठवीं बार राज्यपाल शासन लागू होने की संभावना प्रबल हो गयी है। अगर ऐसा होता है तो एन एन वोहरा के राज्यपाल रहते यह चौथा मौका होगा जब राज्य में केंद्र का शासन होगा। पूर्व नौकरशाह वोहरा 25 जून, 2008 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने थे।  पीडीपी के साथ जम्मू-कश्मीर में करीब तीन साल गठबंधन सरकार में रहने के बाद भाजपा ने सरकार से समर्थन वापसी की आज घोषणा की।अमरनाथ यात्रा 28 जून को शुरू होगी और दो महीने तक चलेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एन एन वोहरा को उनके व्यापक अनुभव को देखते हुए वार्षिक तीर्थयात्रा का प्रभार देना चाहेगी।इस्तीफा देने के बाद वो मीडिया के सामने आई और कई बाते की। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने धारा 370 के बारे में कहा है कि, ‘लोगों के दिलों में धारा 370 को लेकर डर था। हमारे स्पेशल स्टेट को लेकर लोगों के दिलों में डर था। हमने पिछले तीन-चार सालों में 370 ए को कोर्ट में डिफेंड किया। धारा 370 का पूरी तरह से बचाव किया।गठबंधन तोड़ने का ऐलान करते हुए बीजेपी नेता राममाधव ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर सरकार बनी थी, उन सभी बातों पर चर्चा हुई।पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है।राममाधव ने कहा कि जहां तक केंद्र सरकार का रोल है, केंद्र ने तीन साल तक राज्य को पूरी मदद की। कई सारे प्रोजेक्ट भी लागू किए गए उन्होंने कहा कि हमने शांति स्थापित करने के लिए ही रमजान महीने में सीजफायर लागू किया था, लेकिन उसमें भी शांति स्थापित नहीं हो पाई। हालात बिगड़ते जा रहे थे।  ‘उमर अबदुल्ला ने कहा कि राज्य में किसी भी पार्टी के पास अकेले सरकार बनाने के लिए आंकड़े नहीं है। इसलिए राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प बचता है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि राज्य के सभी इलाकों में हालात जल्द से जल्द सामान्य हों। उमर ने कहा कि हमने राष्ट्रपति शासन लागू करने की अपील की लेकिन साथ में यह भी कहा है कि इसे लंबे वक्त तक के लिए न लागू किया जाए और जल्द घाटी के हालात सुधरते देख फिर से चुनाव कराए जाएं।

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