दिनेश ल्वेशाली, स्पेशल कोरेस्पोंडेंट, ICN-उत्तराखंड
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स के इस मंदिर के लगाव के बाद ये मंदिर मीडिया में भी खूब चर्चा में रहा है
यूपी के आगरा जिले के नागउं ग्राम समूह के अकबरपुर ग्राम में एक कुलीन,संभ्रांत ब्राह्मण का जन्म एक सम्पन्न परिवार में हुवा था।सम्पत्तियुक्त अपने पूर्वजों की जमींदारी और वैभव को त्यागकर बाल्यावस्था में ही घर से बिकलकर गुजरात व अन्य स्थानों में योग साधना में प्रवत्त हो गए थे। बबानिया(एक स्थान का नाम) में तालाब में साधनारत बाबाजी ने किनारे पर हनुमान मूर्ति को खुले स्थान में प्रतिष्ठित कर दिया था जहां कालांतर में एक मंदिर भी बन गया था। इसके 6-7 वर्ष बाद मंदिर को देवी रामबाई को सौंपकर बाबाजी वहाँ से निकलकर बाबाजी उत्तर की ओर चल दिये। नीब करोली गाँव को अपनी तपोभूमि बना लिया। भूमि के नीचे एक गुफा का निर्माण करवा कर बाबाजी साधना रत हो गए।
उत्तराखंड में हालांकि महाराज जी का प्रवेश तीसरे दशक में हो चुका था लेकिन बाबाजी की विशेष लीलाएं साल 1942-43 से शुरू हुई।यहाँ उनकी कल्याणकारी लीलाओं से मुग्ध होकर हजारों व्यक्ति उनके चारणाश्रित हो चुके थे। लेकिन किसी एक स्थान या व्यक्ति विशेष से बाबाजी जुड़े नहीं थे और ना ही किसी स्थान विशेष में वो अधिक दिनों तक निवास करते थे। भगवान शिव के रूपों में 11 वें रुद्र हनुमान जी के अवतार मंशा सिद्ध बाबाजी ने हनुमान जी को उत्तराखंड में स्थापित करने का संकल्प लिया,लेकिन हनुमान जी के मंदिरों की स्थापना के पूर्व इसके लिए जन-जन के अंतर में हनुमान जी की भक्ति और स्थापना भी करनी थी।इसके लिए बाबाजी ने घर-घर में रामायण का अखंड पाठ,सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करवाना प्रारंभ करवा दिया। उन्होंने अपने संकल्प मात्र से जन-जन में हनुमान जी के प्रति निष्ठा,श्रद्धा प्रेम और भक्ति का संचार कर दिया।
*कैंची धाम व 15 जून प्रतिष्ठा दिवस*
भवाली से नौ किलोमीटर दूर स्थित बाबा नीम करोली महाराज द्वारा स्थापित कैंची धाम मंदिर अब एक तीर्थ का रूप ले चुका है। नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1973 को महासमाधि ली थी और भौतिक शरीर को छोड़ा था। बाद में उनके अस्थि कलश को कैंची धाम में स्थापित किया गया था और इस तरह बाबा के मंदिर का कार्य 1974 में शुरू हुआ था। निर्माण कार्य में लगे कारीगरों,श्रमिकों और स्वयंसेवकों को स्वच्छ कपड़े पहन कर कार्य शुरू करवाया गया। माताओं द्वारा ईंट पर राम लिखकर ही उन्हें श्रमिकों के पास भेजा जाता था। 15 जून 1976 को महाराजजी की मूर्ति मंदिर में स्थापित की गयी और अभिषेक किया गया। इसी के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहाँ 1 लाख से ज्यादा भक्त यहाँ पहुँचकर मालपुवे रूपी प्रसाद ग्रहण करते हैं।
15 जून 1964 को हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा कैंची धाम में की गयी थी। मंदिर में हनुमान जी के अलावा 15 जून 1973 को विंध्यवासिनी,15 जून 1974 को वैष्णो देवी व 15 जून 1976 को बाबा नीम करोली महाराज की मूर्ति स्थापित की गयी थी। बाबाजी की शक्ति और चमत्कारों के चलते ये मंदिर खासा लोकप्रिय हो गया। डेढ़ दशक पहले यहां 5-10 हजार श्रद्धालु ही आते थे लेकिन आज यह संख्या एक से डेढ़ लाख तक पहुंच चुकी है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स के इस मंदिर के लगाव के बाद ये मंदिर मीडिया में भी खूब चर्चा में रहा है