चीन बरसात के मौसम में ब्रह्मपुत्र नदी का हाइड्रोलॉजिकल डाटा साझा करने पर राजी हुआ था। इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
चीन ने ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी की हाइड्रोलॉजिकल जानकारी भारत के साथ साझा करनी शुरू कर दी है। इस बीच जल संसाधन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि चीन ने 15 मई से ब्रह्मपुत्र नदी की जानकारी साझा किया है। जबकि सतलुज नदी से संबंधित आंक़ड़े एक जून से साझा किए जा रहे हैं। दरअसल, मई माह में भारत-चीन के बीच डोकलाम विवाद का साया ब्रह्मपुत्र नदी पर भी पड़ा था। मानसून के दौरान 73 दिन का डोकलाम गतिरोध ने दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख हो गए थे। इस विवाद के बाद चीन ने हाइड्रोलॉजिकल जानकारी बाढ़ में बह जाने का कारण बताकर आंक़ड़े साझा करने से इनकार कर दिया था। भारत का आरोप था कि समझौते के बावजूद चीन ने इस मॉनसून में ब्रह्मपुत्र नदी के वैज्ञानिक अध्ययन, पानी की गुणवत्ता आदि की जानकारियां नहीं दी हैं। चीन के इस रूख से देश के पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने का खतरा मंडराने लगा था। असल में यह जानकारियां पानी के स्तर को लेकर होती हैं, ताकि जिन देशों में यह नदी जा रही है वहां बाढ़ को लेकर सूचित किया जा सके। हर साल मॉनसून के मौसम में ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आती है, जिसके कारण पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश में काफ़ी जानमाल का नुकसान होता है। भारत में इससे पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ से संबंधित जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है।ब्रह्मपुत्र एशिया की बड़ी नदियों में से एक है, जो तिब्बत से निकलते हुए भारत में आती है और फिर बांग्लादेश में जाने के बाद वह गंगा में मिल जाती है। इसके बाद यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है। तिब्बत में इस नदी को यरलुंग त्संगपो कहा जाता है। भारत में अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर बांग्लादेश में प्रवेश करती है। पिछले महीने भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि चीन की ओर से इस साल में 15 मई से अब तक हाइड्रोलॉजिकल डेटा नहीं मिले हैं। इस पर भारत ने अपनी चिंता जाहिर की थी। बता दें कि भारत और बांग्लादेश का चीन के साथ यह समझौता है कि वह अपने यहां से निकल रही नदी के हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करेंगे।