भारत की पहचान एकता और सहिष्णुता में है: प्रणब मुखर्जी

नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भाषण राष्ट्रवाद , धर्मनिरपेक्षवाद, देशभक्ति और उदारवादी लोकतंत्र पर फोकस रहा।

नागपुर। नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की संस्कृति और उसकी पहचान की विशेषता का उल्लेख करते हुए कई बातें कही। उन्होंने कहा कि मैं यहां पर राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं। उन्होंने कहा कि देश के लिए समर्पण ही देशभक्ति है।

प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में भारत के इतिहास, उसकी संस्‍कृति, धर्म, भाषा, प्रांत सभी का जिक्र किया। भारत की विशालता का जिक्र करते हुए मुखर्जी ने कहा कि भारत हमेशा से खुला समाज रहा है।

आरएसएस हेडक्वार्टर में पूर्व राष्ट्रपति ने करीब 30 मिनट तक भाषण दिया। प्रणब मुखर्जी का भाषण राष्ट्रवाद , धर्मनिरपेक्षवाद, देशभक्ति और उदारवादी लोकतंत्र पर फोकस रहा।

आरएसएस के संस्‍थापक केबी हेडगेवार की जन्‍मस्‍थली पहुंचे प्रणब मुखर्जी का स्‍वागत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया। पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार को ‘भारत माता का एक महान सपूत’ बताया।

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम केवल संघ का काम नहीं है। इसे देखने के लिए अनेक महापुरुष आते रहते हैं।उनसे पथ प्रदर्शन प्राप्‍त करते हैं।उस सत्‍य पथ पर चलें हम सब ऐसी हमारी आदत हो, हमारी बुद्ध‍ि हो, ऐसा आचरण वाला संघ कार्यकर्ता तैयार करता है। आप इसे देखिए, परखिए और इसके सहभागी बन सकते हैं तो बनिए। हमें किसी का विरोध नहीं है।भागवत ने कहा ‘संघ केवल हिंदू के लिए नहीं सबके लिए काम करता है। सरकारें बहुत कुछ कर सकती है मगर सबकुछ नहीं कर सकती।

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ‘मैं आज यहां राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद पर अपने विचार रखने आया हूं। भारत एक स्वतंत्र समाज है, देशभक्ति में सभी का समर्थन होता है।

पूर्व राष्ट्रपति ने आगे कहा ‘राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान होती है। भारतीय राष्ट्रवाद में एक राष्ट्रीय भावना रही है। सहिष्णुता और विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

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