रितिका सनवाल, ब्यूरो-अल्मोड़ा
सरकार आती है जाती है पर अल्मोड़ा का हाल आज भी वही है। धरने होते है कागजी कारवाही होती है पर अल्मोड़ा की हालत जस की तस। बस दिल कहता है आखिर कब तक।
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा का बेस हॉस्पिटल रेफरल सेंटर बना रहेगा, कल रात एक कार और बाइक का एक्सीडेंट होता है। बाइक सवार दो लोग़ घायल होते है।सिटी स्कैन मशीन कब से ख़राब है अत्यधिक खून बहने के कारण हॉस्पिटल वालो ने हायर सेंटर रेफेर कर दिया। तो एक बार फिर से 108 सेवा ने दगा दे दिया टायर पंक्चर होने के कारण एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। किसी तरह निजी वाहन से घायलों को गरमपानी पहुंचाया गया।वहा से 108 से हल्द्वानी। जब स्वास्थ सेवा खुद ही बीमार है तो लोगो को क्या ठीक करेगी। आज भी वो दिन याद है जब सरकारी स्कूल के टीचरो का एक्सीडेंट हुआ था।२-३ तो इसलिए मर गए क्योकि यहाँ अच्छी स्वास्थ सेवा ही नहीं है। सरकार आती है जाती है पर अल्मोड़ा का हाल आज भी वही है। धरने होते है कागजी कारवाही होती है पर अल्मोड़ा की हालत जस की तस।बस दिल कहता है आखिर कब तक।ये केवल अल्मोड़ा का हाल नहीं है बल्की पूरे उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों का हाल है जिसके वजह से गरीबो को निजी अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ता है और फिर वहा उनको जम कर लूटा जाता है। सरकार को सरकारी हाॅस्पिटल की स्थितियों की कोई सुध नही है बस उन्हे प्राईवेट हाॅस्पिटल के रिबन काटने से फुरस्त नही है।बरसो से ऐसा ही होता आया है। सरकारी मशीन पर लाखो खर्च किए ज़ाते है फिर उन्हे चलाने वाला कोई नहीं होता , बस जंक खाते रहते है और फिर कुछ समय बाद कचरे के भाव बेच दिए जाते है। देखा जाए तो हम सब पलायान का रोना रोते है , पर पलायान हो भी क्यू ना ? एक बेटी होने के नाते मैं चाहती हूँ जब मेरे माता – पिता बूढ़े हो तो उन्हे अच्छी स्वास्थ सेवा मिले जो फिलहाल तो नज़र नहीं आ रही।कुछ ना कुछ करने की जरूरत है वरना उत्तराखंड इसी तरह पलायान की मार झेलता रहेगा।