विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2018 को इस बार भारत होस्ट करेगा। इस बार 45वां विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा। 2018 की थीम ‘बीट प्लास्टिक पोल्यूशन’ रखी गई है।
पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया गया। इसके बाद पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर पूरी दुनिया में अलग-अलग तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इन कार्यक्रमों के दौरान पौधरोपण किए जाते हैं और साथ ही पर्यावरण को कैसे संरक्षित रखना बताया जाता है।संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया और प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। पूरे विश्व में हर साल करीब 55 लाख लोग दूषित हवा की वजह से मर जाते हैं।कुछ समय पूर्व पर्यावरण विज्ञान के पितामह जेम्स लवलौक ने चेतावनी दी थी कि यदि दुनिया के निवासियों ने एकजुट होकर पर्यावरण को बचाने का प्रभावशाली प्रयत्न नहीं किया तो जलवायु में भारी बदलाव के परिणामस्वरूप 21वीं सदी के अन्त तक छह अरब व्यक्ति मारे जाएंगे। संसार के एक महान पर्यावरण विशेषज्ञ की इस भविष्यवाणी को मानव जाति को हलके से नहीं लेना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने भारत द्वारा वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा है की भारत दूसरे देशो के लिए एक उदाहरण पेश कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के कार्यकारी निदेशक इरिक सोलहिम ने नई दिल्ली में एक कार्यक्र्म में कहा की इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का भारत वैश्विक मेजबानी करेगा। विश्वभर में प्लास्टिक के बढ़ते प्रयोग और इसके प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिये यह शुरूआत की गयी है। प्लास्टिक से बढ़ते प्रदूषण से कोई अछूता नही है। विश्वभर में प्लास्टिक का प्रयोग दिन पर दिन बढ़ने से हर दिन लाखों टन प्लास्टिक कचरा नदी नालों के ज़रिए समुद्र में मिलता है। दुनिया में शायद ही कोई समुद्रि किनारा बचा हो जहाँ हमें प्लास्टिक का कचरा ना मिलता हो। प्लास्टिक ना केवल इंसानो के लिए नुकसानदायक है बल्कि समुंद्र में रहने वाले जीव जन्तुओ के लिए भी हानिकारक है।विश्वभर में बढ़ते प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत ही चिंता का विषय बना हुआ है।विश्वभर में बिन मौसम बरसात होना, अचानक सूखा पड़ना और बर्फ़ीले हिमखंडों का पिघलना ये ऐसे विषय हैं जिन पर हर जगह विचार विमर्श तो हो रहा है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।हर जगह विकास के काम हो रहे हैं लेकिन इसी विकास की चक्कर में पेड़ काटे जा रहे हैं जंगलों का खात्मा हो रहा है जो की ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण हैं।