नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि जूवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत बच्चों की उम्र का पता लगाने के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल एज प्रूफ के तौर पर हो सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जेजे ऐक्ट के तहत उम्र का पता लगाने के लिए सबसे अहम दस्तावेज 10 वीं का सर्टिफिकेट माना गया है और पंचायत और कॉरपोरेशन से जारी जन्म प्रमाण पत्र को भी तरजीह है। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकारी अथॉरिटी द्वारा जारी आधार कार्ड की महत्ता कॉरपोरेशन और पंचायत द्वारा जारी सर्टिफिकेट के बराबर या कहीं बढ़कर है। 6 साल के बच्चे के साथ दुराचार करने वाले आरोपी को 15 साल कैद की सजा सुनाते हुए हाई कोर्ट ने उक्त व्यवस्था दी है। दिल्ली हाई कोर्ट में पोक्सो के तहत सजा पाए दोषी ने अपील दाखिल कर रखी थी। निचली अदालत ने 6 साल के बच्चे से दुराचार करने के आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मामला दिल्ली के बेगमपुर इलाके का है। हाई कोर्ट में अपील पर सुनवाई के दौरान बच्चे की उम्र का मामला सामने आया। बच्चे की उम्र 6 साल बताया गया और इसके लिए आधार कार्ड पेश किया गया था। हाई कोर्ट ने उम्र का आंकलन करते हुए कहा कि जेजे ऐक्ट तहत उम्र के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल प्रूफ के तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। जेजे ऐक्ट का रूल 12 कहता है कि वरीयता के हिसाब से पहली वरीयता उम्र के मामले में 10 वीं का सर्टिफिकेट होगा। उसके बाद उम्र के लिए स्कूल में दाखिले के वक्त लिखाए गए उम्र को माना जाता है और उसके बाद वरीयता के तौर पर पंचायत और कॉरपोरेशन द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र को तरजीह दी गई है। हालांकि पंचायत और कॉरपोरेशन द्वारा जारी सर्टिफिकेट के लिए कोई तयशुदा फॉर्मेट नहीं है। हाई कोर्ट के जस्टिस एसपी गर्ग की अगुवाई वाली बेंच ने व्यवस्था दी है कि आधार कार्ड सरकारी अथॉरिटी जारी करता है और ऐसे में उनका मत है कि यह दस्तावेज (आधार) पंचायत या कॉरपोरेशन से जारी सर्टफिकेट के बराबर या फिर उससे ऊपर की वरीयता रखता है।
आधार में दर्ज उम्र जूवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत प्रूफ के तौर पर हो सकता है इस्तेमाल : दिल्ली हाई कोर्ट
