दीपक सिंह बिष्ट, स्पेशल कोरेस्पोंडेंट-ICN उत्तराखंड
नैनीताल। काफी समय से उत्तराखण्ड में हर क्षेत्र में जंगल जलने की सूचनाएं आ रही हैं। प्रदेश में बढ़ते तापमान के कारण जंगलों में आग लगने का कारण बताया जा रहा है। जिससे जंगलो से सटे हुए कई ग्रामीण क्षेत्रों की जनता डरी हुई है। साथ ही साथ वन विभाग के भी हाथ पांव फूले हुए है जिसके मद्देनजर वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियों को भी रद्ध कर अलर्ट जारी कर दिया गया है। अभी तक पूरे प्रदेश में 700 से अधिक घटनाओं में 1100 हेक्टेयर से अधिक जंगल जलने का अनुमान लगाया जा रहा है।इस तरह से बढ़ता तापमान व साथ में हरे भरे जलते वन और नदियों व प्राकृतिक श्रोतों का सूखना सभी के लिए बढ़ी चिंता का विषय है। जिसके बारे में सरकार व प्रशासन के साथ – साथ हम सभी को भी इस विषय में व इन सभी समस्याओं से बचना और आने वाले वर्षों को खुशहाल बनाने के लिए सोचना पड़ेगा व सरकार को वन संरक्षण और जल संरक्षण पर एक ठोस कदम उठाना पड़ेगा।परन्तु इन सभी को अलग रखते हुए एक सवाल यह भी उठता है कि क्या सच में जंगल बड़ते तापमान के कारण ही जल रहें है या वन विभाग खुद यह आग लगा रहा है या ग्रामीण इस आग के जिम्मेदार है।कारण जो भी हो पर इस समस्या से निजात व वनों को संरक्षित करने के लिए सरकार को कोई रूपरेखा बनाना बहुत जरूरी है।