नई दिल्ली। रमजान के पाक महीने में भारतीय सेना के जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन नहीं चलाने के सरकार के फैसले पर अब सेना भी सहमत हो गई है। हालांकि, सेना की प्रमुख चिंता है कि इस मौके का फायदा घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों को फिर से एकजुट होने और आतंकी वारदात अंजाम देने का मौका मिल सकता है। इसी चिंता के कारण आर्मी की तरफ से शुरुआत में इस फैसले का विरोध किया जा रहा था। ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान की तरफ से इस तरह के कोई संकेत नहीं मिले हैं सेना ऑपरेशन रोकने के पक्ष में नहीं थी। कश्मीर में पाक समर्थित आतंकी संगठन जैसे हुर्रियत और कई दूसरे सक्रिय संगठनों की मौजूदगी को देखते हुए आर्मी ने इस फैसले को लेकर अपनी दो प्रमुख चिंताएं जाहिर कीं। सूत्र ने यह भी कहा कि इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह बहुत हद तक राजनीतिक प्रभाव में लिया गया फैसला है।एक सूत्र ने बताया, सेना ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर आर्मी के किसी काफिले, कैंप या ठिकाने पर हमला किया गया तो सेना के पास इंटेलिजेंस आधारित काउंटर ऑपरेशन करने की छूट होगी। यह ऑपरेशन 30 अप्रैल को हुए समीर भट उर्फ टाइगर के खात्मे वाले ऑपरेशन जैसा हो सकता है। सूत्रों ने यह भी बताया कि भारतीय सेना पूर्ववत क्षेत्रों में पूरी सक्रियता के साथ पट्रोलिंग करती रहेगी।
रमजान में ऑपरेशन नहीं करने के फैसले पर भारतीय सेना सशर्त हुई सहमत
