प्रो. सत्येन्द्र कुमार सिंह, एडिटर-आई.सी.एन.
आजकल एक खबर सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से फ़ैल रही है कि डालमियां ग्रुप ने लाल किला को 25 करोड़ रुपये में भारत सरकार से ले लिया है। दरअसल भारत सरकार के पर्यटन विभाग ने ‘अडॉप्ट अ हेरिटेज (adopt a heritage)’ योजना के अंतर्गत प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को आमंत्रित किया है कि वह भारत की प्रमुख पर्यटन स्थलों को उन्नत करें| यह कंपनियां ‘मोन्यूमेंट मित्र (monument mitra)’ के तौर पर कार्य करेंगे तथा इन स्थलों के प्रणाली एवं रखरखाव का ख्याल रखेंगी|
इस बावत ज्ञात हो कि यह प्रोजेक्ट ASI के ९५ स्मारकों के लिए शुरू किया गया है एवं दिल्ली में स्थित पुराना किला को NBCC, जन्तर मंतर को एस.बी.आई. फाउंडेशन, कुतुबमीनार को yatra.com, सफदरगंज मकबरे को ट्रेवल कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया तथा अग्रसेन की बावली को Special Holidays Travel Pvt Ltd तथा Rotary Club of Delhi के द्वारा गोद लिया गया है|
लालकिला के सम्बन्ध में डालमिया भारत तथा टूरिज्म मंत्रालय के बीच MoU के तहत वहां पर्यटक के लिए सुविधाओं के साथ-साथ landscaping, wifi, कैफेटेरिया, व्हीलचेयर, बैटरी-संचालित वाहन, सुरक्षा तथा रौशनी आदि की व्यवस्था की जाएगी|
अब बात करते है इसमें लगने वाले पैसे की| डालमिया भारत ने इसके लिए अपने CSR (corporate social responsibility) बजट को लगाने हेतु सरकार से अनुबंध किया है| 1 अप्रैल 2014 से प्रभावी हुए भारतीय कानून के अनुसार बड़ी कंपनियों को अपने लाभ का 2% CSR हेतु खर्च करना अनिवार्य है| इसके पीछे की मंशा यह है कि आय समाज से अर्जित की जाती है अत: इसे सामाजिक कार्य हेतु वापस दिया जाना चाहिए।
कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत भारत मे स्थापित और संचालित कोई भी ऐसी कम्पनी जिसका शुद्ध मूल्य 500 करोड़ रुपये या इससे अधिक हो अथवा कंपनी का कारोबार 1000 करोड़ रुपये या इससे अधिक हो अथवा कंपनी का शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो, उसको अनुसूची VII में निर्दिष्ट अनुसार और समय-समय पर संशोधित सीएसआर गतिविधियों पर पिछले 3 वर्षों के औसत शुद्ध मुनाफे में कम से कम 2% खर्च करना होगा।
अगर कोई कंपनी उपरोक्त श्रेणी में होने के वावजूद भी अपने सीएसआर को ख़र्च नहीं करती है तो उसको खर्च न करने के कारणों को बताना होता है। कारणों को बताने में कोताही अथवा संतोषप्रद कारण ना देने पर कम्पनी को 50,000 रुपये से 25 लाख रुपये अथवा 3 साल तक की कारावास की सजा दी जा सकती है|
भारत, इस देनदारी को स्थापित करने के लिए दुनिया का पहला देश है। उपरोक्त 2% राशि भूख, गरीबी और कुपोषण उन्मूलन, शिक्षा को बढ़ावा देना, मातृ और शिशु स्वास्थय में सुधार, पर्यावरण विकास, राष्ट्रीय विरासत का संरक्षण (लाल किला के प्रकरण में विशेष संदर्भित), सशस्त्र बलों के लाभ के लिए, खेल को बढ़ावा देना, प्रधानमंत्री राष्टीय राहत कोष में योगदान आदि में खर्च करना होता है|
तो कुल मिलकर निष्कर्ष यह निकला कि डालमिया समूह को अपने CSR में अंतर्गत 5 करोड़ प्रतिवर्ष के हिसाब से पांच साल में 25 करोड़ रुपये खर्च करने है| इसमें ASI के नियमों का पालन भी करना होगा|
इस चर्चा के हिसाब से हमें कुछ प्रमुख बिन्दुओं का विशेष ध्यान देना होगा| पहला, लालकिले को डालमिया समूह ने २५ करोड़ में नहीं लिया है बल्कि २५ करोड़ उसे खर्च करने हैं| दूसरा, पर्यटन स्थलों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के अंतर्गत देने की यह नयी प्रक्रिया नहीं है| इससे पूर्व हुमांयू के मकबरे को Aga Khan Foundation को तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सौपा था और कहा था कि ऐतिहासिक स्थलों को PPP के द्वारा संरक्षित करना एक अच्छा कदम है| तीसरा, केवल सोशल मीडिया में चलने वाले कैंपेन को अपने विवेकानुसार आंकलन करें एवं विश्वस्त सूत्रों से ही सच्ची और पूर्ण जानकारी प्राप्त करें|