“कौन कहता है आसमाँ में छेद नही हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों “

ब्यूरो , ICN उत्तराखंड

साक्षरता अभियानों व हमारे प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के लिए सीख बन सकता है यह प्रयास।

देहरादून। फौज से सेवानिवृत्त बिजेंद्र, देहरादून में माजरा स्थित इलाहाबाद  बैंक एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड हैं। शाम ढलते ही कामगार व भीख मांगने वाले  बच्चे इनके पास जुटने लगते हैं। आसपास की मलिन बस्तियों के करीब 24 बच्चों को एटीएम की रोशनी में ही पढाते हैं। अनुशासन भी सिखाते हैं। कहते हैं ” मेरे पढाये हुए कई बच्चे अब नौकरियों पर हैँ, गरीबों के बच्चों को पढ़ाना और कुछ बनाना शकुन देता है। ये बच्चे सरल और लगन शील होते हैं। विध्या दान का ऐसा ऐसा पुण्य कार्य वह पिछले 16 वर्षों से कर रहे हैं। फोटो खींचने को बमुश्किल राजी हुए। तमाम साक्षरता अभियानों व हमारे प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के लिए सीख बन सकता है यह प्रयास।

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