नई दिल्ली। सरकार की तरह से कमर्शियल वाहन चलाने वाले ड्राइवरों के लिए एक बड़ी राहत का ऐलान किया गया है। अब टैक्सी, थ्रीवीलर्स, ई-रिक्शा और कमर्शल टू-वीलर (फूड डिलिवरी या अन्य) के लिए कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। ड्राइवर अब इन्हें चलाने के लिए अपने प्राइवेट लाइसेंस का इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि ट्रक, बस और दूसरी हैवी कमर्शियल गाडिय़ों को चलाने के लिए अभी भी कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत होगी।सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस मामले में सोमवार को ही प्रदेश सरकारों को अडवाइजरी जारी कर दी है। यह अडवाइजरी जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के आलोक में जारी की गई है। मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इससे लाखों ड्राइवरों के लिए रोजगार के मौकों में वृद्धि होगी। हाल तक किसी भी ट्रांसपॉर्ट वीकल को चलाने के लिए ड्राइवर के पास कमर्शियल लाइसेंस होना जरूरी होता था। सामान्यतया लोगों को प्राइवेट ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के बाद कमर्शियल लाइसेंस पाने के लिए एक साल तक वेट करना पड़ता था। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, इससे कमर्शियल या ट्रांसपॉर्ट लाइसेंस हासिल करने में होने वाला करप्शन खत्म होगा। राज्य कमर्शियल गाडिय़ों को चलाने वालों के लिए बैज जारी करने से भी दूर रहें। एक अंदेशा यह जताया जा रहा है कि इस फैसले के बाद टैक्सी, ई-रिक्शा और थ्री-वीलर्स की संख्या बढ़ेगी जिससे ट्रैफिक दबाव भी बढ़ेगा। हालांकि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक ट्रांसपॉर्ट में ज्यादा गाडिय़ां उपलब्ध होने पर लोगों की प्राइवेट गाडिय़ों पर निर्भरता कम होगी।
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