सांसद अनिल बलूनी ने वी आई पी सुविधा लेने से इंकार करके पेश की मिसाल

अमित खोलिया, ब्यूरो चीफ, आई.सी.एन.-उत्तराखंड
देशभर के सांसदों को भी इनसे कुछ सीखना चाहिए। वीआईपी कल्चर को खत्म करने को लेकर काफी वक्त से मांग उठती रही है। सभी को समान रुप से देखने के लिए भी ये एक अच्छा कदम है। 
हल्द्वानी। आज के समय में उत्तराखण्ड में वी आई पी सुविधा को पाने की लालसा कईयों के मन में है।जिसमें बहुत से गणमान्य लोगो को कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के भाई भोले महाराज, माता मंगला और भी कई शंकराचार्य को अपने ही प्रदेश में जान का खतरा होने की बात कही जा रही है। इन सभी लोंगो के आगे पीछे हमेशा लोगो की लाइन होती है। इससे ये लगता है कि इन्हे अपने ही लोगों से जान का खतरा है।
दूसरी तरफ हाल ही में राज्य सभा के लिए चुने गए सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा सांसद को दी गई वाई सुरक्षा को सांसद अनिल बलूनी ने यह कह कर लेने से इंकार कर दिया की उन्हें अपने घर उत्तराखण्ड में किसी से किसी भी प्रकार का कोई खतरा नही है। ये सुरक्षा उत्तराखंड पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के नामों के आधार पर, राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी  व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजयभट्ट को उत्तराखंड सरकार ने 5 अप्रैल 2018 को आदेश संख्या 18/xx-2/01 द्वारा निजी सुरक्षा प्रदान की ।
इसके विपरीत इन दोनों राजनीतिक शख्सियतों ने सरकार से ये सुरक्षा वापिस कर उन लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो कि बिना किसी ठोस कारण के गनर को स्टेटस सिंबल के रूप में देखकर इस सुरक्षा को पाने को लालायित रहते हैं ।अनिल बलूनी की तरफ से वीआईपी कल्चर खत्म करने को लेकर एक अच्छी शुरुआत है। इस कल्चर को खत्म करने के लिए अनिल बलूनी ने बाकी नेताओं के दिलों में भई एक छाप छोड़ी होगी। इसके अलावा शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम, धर्मगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद और रामानंद हंस देवाचार्य को ये सुरक्षा दी गई है।

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