नई दिल्ली। आधार जारी करने वाली यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आधार सिस्टम का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की वास्तविक समय में निगरानी के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका डेटा एक जगह एकत्र नहीं होता और यह कई एंटिटी में बंटा है।यूआईडीएआई ने कहा कि जब तक सभी एंटिटीज कानून के खिलाफ जाकर मिलीभगत नहीं करतीं, तब तक निगरानी करना लगभग असंभव है। देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 जजों की बेंच को यूआईडीएआई के वकील राकेश द्विवेदी ने बताया, ‘डेटा एक साथ नहीं हैं। बेंच में जस्टिस एके सीकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण भी शामिल हैं। बेंच आधार ऐक्ट, 2016 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में कहा गया है कि आधार योजना लोगों के जीवन में घुसपैठ करने वाली है और यह नागरिकों के प्रिवेसी के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन करती है।जस्टिस चंद्रचूड़ ने आशंका जताई कि एक व्यक्ति की ओर से रोजाना की जाने वाले कई ट्रांजैक्शंस के साथ बायोमीट्रिक्स के जुड़े होने के कारण यह डेटा जमा होने का एक जरिया बन जाता है और इस वजह से डेटा की सुरक्षा के कानून की जरूरत है। इसका विरोध करते हुए द्विवेदी ने कहा, ‘आधार के जरिए पहचान करने वाली एंटिटीज देशभर में फैली हैं। आप यह नहीं मान सकते कि वे सभी षडयंत्र और मिलीभगत करेंगी। डेटा कई स्थानों पर रखा जाता है। कानून इसे एक साथ रखने की इजाजत नहीं देता।
आधार डेटा से किसी की निगरानी असंभव: यूआईडीएआई
