कावेरी विवाद: बंद के दौरान विपक्षी दलों का प्रदर्शन, स्टालिन हिरासत में

चेन्नई। कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर तमिलनाडु में विपक्षी दलों ने गुरुवार को बंद बुलाया।बंद का असर सुबह से ही दिखने लगा है। राज्य के कई शहरों में बंद का कारण सन्नाटा है। कावेरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक के पक्ष में फैसला आने के बाद से बोर्ड के गठन के लिए विपक्षी दल केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करते रहे हैं। वहीं गुरुवार को चेन्नै में प्रदर्शन के दौरान डीएमके का कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।बंद के कारण राज्य की सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। बंद का समाज के लगभग हर तबके ने समर्थन दिया है। सबसे अधिक असर बस सेवाओं पर पड़ता दिख रहा है। प्रमुख ट्रेड यूनियन्स ने बंद में भाग लेने का फैसला किया है, इसलिए सरकारी बसें गुरुवार को नहीं चलेंगी। डीएमके और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए सड़के जाम कर दीं। प्रदर्शनकारियों की बड़ी संख्या को देखते हुए भारी सुरक्षाबलों की तैनाती की गई। सुरक्षा इंतजाम भी कड़े कर दिए गए। वहीं चेन्नै में प्रदर्शन के दौरान स्टालिन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। स्टालिन को जगह से हटाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान नारेबाजी भी होती रही।विपक्षी दलों के प्रदर्शन के कारण चेन्नै की सड़कें जाम हो गई हैं। बसें नहीं चल रही हैं इसलिए जरूरी कार्यों के लिए लोग छोटे वाहनों का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में जगह-जगह सड़क जाम होने के कारण लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।कर्नाटक से आईं बसें भी गुरुवार को तमिलनाडु की सीमा पर ही रुकी हुई हैं। कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन कॉर्पोरेशन ने तमिलनाडु में बसें नहीं चलाने का ऐलान किया है।राज्य की सड़कों पर बंद का असर दिखाई दे रहा है। सुबह-सुबह खुलने वाली चाय-सब्जी की दुकानों से लेकर बड़ी दुकानें भी बंद हैं। सड़कों पर भी इक्क-दुक्का लोग ही दिखाई दे रहे हैं।बंद के दौरान डीएमके कार्यकर्ता चेन्नै की सड़कों पर प्रदर्शन के लिए उतरे। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन भी किया।गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी को अपने आदेश में कावेरी जल में कर्नाटक का हिस्सा 14.75 टीएमसी फुट बढ़ाकर उसे 270 टीएमसी फुट कर दिया था। उसने नदी जल में तमिलनाडु का हिस्सा घटा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है और नदी के जल पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है। बुधवार को कोयंबटूर में डीएमके और एमएमके कार्यकर्ताओं ने मुंह में रबर के चूहे रखकर प्रदर्शन किया था। कई प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था।

Share and Enjoy !

Shares

Related posts