ख़ामोशियों से लड़कर कुछ शोर करना चाहता हूँ

आलोक सिंह ( एसोसिएट एडीटर-ICN ग्रुप )  

ख़ामोशियों से लड़कर कुछ शोर करना चाहता हूं

आज सबकुछ भुलाकर तेरी ओर बढ़ना चाहता हूं

तोड़कर रवायतें समाज की कुछ नया करना चाहता हूँ

बहुत ऊंची हैं ये दीवारें इन्हें अब ढेर करना चाहता हूँ

इस जात पात के आगे एक नया आयाम रचना चाहता हूँ

एक दूजे के कतरे से मिला एक लहू इंसानी बनाना चाहता हूँ

इन झूठे फलसफों से जुदा, नई एक सोच बनाना चाहता हूँ

बेफिक्र उड़ें ख़्याल जहां , खुला वो आसमान बनाना चाहता हूँ

नश्तर सी चुभती निगाहों से परे एक नज़र रूहानी चाहता हूँ

जहाँ गुज़र सके बेटियाँ मेरी,एक गली महफूज़ बनाना चाहता हूँ

ख़ामोशियों से लड़कर कुछ शोर करना चाहता हूं

आज सबकुछ भुलाकर तेरी ओर बढ़ना चाहता हूँ ।।

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