वैश्विक ताकत के तौर पर दर्जा चाहता है भारत : पेंटागन

वॉशिंगटन। भारत वैश्विक शक्ति के तौर पर स्थापित होना चाहता है, पेंटागन के टॉप इंटेलिजेंस ऑफिसर ने मंगलवार को अमेरिकी सांसदों को यह जानकारी दी। साथ ही कहा कि नई दिल्ली इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अपनी रणनीतिक शक्तियों को आवश्यक तत्वों के रूप में देखता है। भारत ने पहली बार अपने देश में बनी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिहंत को सेवा में लिया और अब अपनी दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन आईएनएस अरिघट को 2018 में डिलिवर करने वाला है। डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल रोबर्ट एश्ले ने आर्म्ड सर्विसेज कमिटी से जुड़े सांसदों को यह जानकारी दी।उन्होंने कहा कि भारत अपनी राजनयिक और आर्थिक पहुंच के मजबूत करते हुए बड़े पैमाने पर हिंद महासागर क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। एश्ले ने कहा, लाइन ऑफ कंट्रोल के पास पाकिस्तान और भारत की सेनाओं के बीच भारी गोलीबारी से शत्रुता की क्रमिक वृद्धि का खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि 2017 में, भूटान और चीन की सीमा पर डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच लंबा विवाद चला, जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास अपनी ताकत बढ़ाने का कदम उठाया। उन्होंने कहा, पाकिस्तान अपना परमाणु भंडार बढ़ा रहा है और सामरिक परमाणु हथियारों और नई बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली विकसित कर रहा है। जनवरी 2017 में दक्षिण एशिया की पहली एमआईआरवी पेलोड के साथ पाक ने अपने परमाणु सक्षम अबाबेइल बैलिस्टिक मिसाइल का पहला परीक्षण किया।

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