परीक्षा के तनाव से छुटकारा कैसे पायें

डॉ संजय श्रीवास्तव साइकोलोजिकल काउंसलर & असिस्टेंट एडिटर-आई सी एन ग्रुप    

लखनऊ। दोस्तों आप सभी ने मेरे लेख “किशोरों की जिंदगी में ज़हर घोलता अवसाद” को पढ़ मुझे प्रोत्साहित किया है उसके लिए आप सभी को दिल से बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ |दोस्तों अब हमारे बच्चों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं और विद्यार्थियों के साथ साथ उनके माता पिता एवं शिक्षकगण भी बहुत तनाव महसूस कर रहे होंगे |दोस्तों आप सभी परीक्षा के कारण उत्पन्न होने वाले तनाव तथा उस तनाव के कारण होने वाली असफलता के चलते बाद में या परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों द्वारा की नादानियों की वजह से  विद्यार्थी या उसकी वजह से पूरे परिवार को मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा से गुजरना पड़ता है एवं उस उससे जो भी क्षति होती है | उससे तो आप सभी भली भांति परिचित होंगे |

आपने अक्सर देखा या खबरों के माध्यम से ये सुना होगा कि परीक्षा शुरू होने पहले या परिणाम निकलने के बाद विद्यार्थियों द्वारा नादानीवश उठाया गया भयानक कदम जैसे :-घर से भाग जाना ,अपने आप को अकेले में कैद कर लेना ,समाज से कट जाना ,किसी से बात न करना तथा सबसे खराब आत्महत्या जैसा कदम उठा लेना शामिल एक आम बात हो जाती है | ऐसी खबरे अखबारों तथा न्यूज़ चैनेल्स पर आम हो जाती हैं | जिसका सिलसिला परीक्षा के परिणाम आने के कई दिन बाद भी निरतर चलता रहता है तो मित्रो अबके बार मैंने इस लेख के माध्यम से आप सभी का ध्यान उन सभी बातो पर दिलाने की एक कोशिश की है जिससे हम परीक्षा की वजह से होने वाले तनाव को ख़त्म कर सकते हैं या काफी हद तक कम कर सकते है | जिससे हम अपने परिवार अपने समाज में होने वाली ऐसी घटनाओ को होने से कैसे रोक सकते हैं | ये घटनायें वे हैं जिसकी वजह से अभिभावक के साथ साथ शिक्षकगण भी कई कई दिनों तक तनाव में रहते हैं | कभी कभी इन घटनाओ का असर उनके मन मस्तिष्क में पूरी जिंदगी एक दुस्वप्न की भांति बना रहता है | दोस्तों इस लेख में मैंने विद्यार्थियों ,अभिभावकों तथा शिक्षकगणतीनों के लिए उचित समाधान देने की कोशिश की है |

दोस्तों मैं आप सभी से एक बात और बताना चाहता हूँ | जिसे मैं अक्सर अपनी कार्यशालाओ में लोगो से कहता हूँ कि सिर्फ बातो को जान लेना ही कारगर नही होता | उन बातो पर अमल करना ही हितकर होता है | जैसे अगर आपको कोई डॉक्टर कोई औषधि बताता है या कोई एक्सरसाइज और परहेज बताता है तो सिर्फ उस बात को जान लेने भर से आप ठीक नही होंगे बल्कि उस डॉक्टर द्वारा बताये गए नुस्खे का उचित इस्तेमाल तथा बताये गए परहेज और एक्सरसाइज को पूरी तरह से अपनी दिनचर्या में एवं अपने व्यवहार में शामिल करना होगा तभी आप पूरी तरह से रोगमुक्त हो पाएंगे अन्यथा नही |

आइये दोस्तों अब हम सबसे पहले उन लक्षणों के बारे में जान ले जो हमारे किसी भी परीक्षा के कारण उत्पन्न हुए तनाव की वजह से उत्पन्न होते हैं |

लक्षण :– १.दोस्तों परीक्षाओ के शुरू होने से पहले जो हमारे अन्दर मानसिक  बदलाव आते हैं उनमे से प्रमुख लक्षण है :-चिंता ,घबराहट ,डर ,तनाव ,आत्मविश्वास में कमी होना ,मन का स्थिर न होना ,ध्यान केन्द्रित न कर पाना ,याददाश्त में कमी आना ,अचानक सर दर्द होना , नींद में कमी आना या बहुत नींद आना ,हद से ज्यादा नकारात्मक विचारो का आना आदि

२ .हमारे अन्दर परीक्षा के तनाव की वजह से आने वाले जो शारीरिक बदलाव आते हैं उनमे से प्रमुख लक्षण हैं :-  अक्सर पेट का खराब रहना ,दस्त ,जी मिचलाना या उल्टी आना ,भूख में कमी आना या जरूरत से ज्यादा भूख का लगना ,हर समय कमजोरी महसूस होना ,कभी कभी हाथ पैरों में झनझनाहट महसूस करना , अचानक गर्मी या अचानक ठण्ड का अनुभव करना आदि

दोस्तों क्या आप को पता है की ये मानसिक और शारीरिक बदलाव किस किस वजह से हमारे जीवन में आते हैं ?

तो आइये अब हम उन बातो को भी जान ले जिन बातो की वजह से एक विद्यार्थी के जीवन में ये बदलाव आते हैं | उनमे से कुछ प्रमुख कारण हैं | जैसे :-

१.अभिभावकों द्वारा हर बार परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा अंक या प्रतिशत लाने का  

  दबाव  

२.अभिभावकों  की अपने बच्चो से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं

३.अभिभावकों या शिक्षकों द्वारा अन्य छात्रों से हर समय तुलना करना

४.कई बार स्वयं विद्यार्थी द्वारा अन्य विद्यार्थियों से हर वक्त प्रतिस्पर्धा की भावना रखना |

.अच्छा परिणाम न आने की वजह से लोगो द्वारा उपेक्षित किये जाने का भय  

.अपने मित्रो या सहपाठियों द्वारा छोड़ दिए जाने का भय  

७.लोगो में ,मित्रो में या पारिवारिक सदस्यों द्वारा उपहास का विषय बनने का भय

मित्रो यही वे कुछ मूल कारण हैं जिसकी वजह से विद्यार्थी परीक्षा शुरू होने के पहले ही तनाव में आ जाते हैं और जिसका असर उनके परिक्षा के परिणाम पर पड़ता है |

आइये अब विद्यार्थियों की बात करते हैं | पहली बात तो ये हैं की विद्यार्थी मुझसे अक्सर ये शिकायत करते हैं की हमें  अपना याद किआ हुआ विषय याद क्यों नही रहता ? तो मित्रो मैं कुछ बाते जरुर आप सभी से साझा करना चाहूँगा जिसकी वजह से अक्सर विद्यार्थियों को उनके विषय से सम्बंधित बाते याद नही रहती या वे मौके पर भूल जाते हैं |जिसमे से मुख्य कारण हैं :-

१.पढाई करने से पहले उसके विषय में किसी भी प्रकार की सकारात्मक सोच का न होना :-मित्रो अगर हम कुछ भी पढने से पहले खुद उस विषय के प्रति सकारात्मक सोच नही रखेंगे तो वह विषय किसी को भी किसी भी मूल्य पर नही याद रहेगा | दोस्तों ये बिलकुल सच है कि जब हम किसी विषय के प्रति सकारात्मक होते हैं तभी उस विषय के प्रति हमारे मन में रूचि आती है और दोस्तों हमे जिस भी विषय में रूचि होती है ,वह विषय हमे भूलता नही है | तो मित्रो विद्यार्थियों से मेरा कहना सिर्फ इतना ही है की वे जिस भी विषय को पढना चाहते है | उस विषय के प्रति अपने मन में सबसे पहले सकारात्मक सोच का होना बहुत जरूरी है |

२.पढाई का कोई नियम का ना बनाना :- दोस्तों हम सभी किसी न किसी नियम से बंधे रहते है | मित्रो अगर हम सफल व्यक्तियों की बात करे तो वे अपने कार्य को नियम पूर्वक करते हैं | विद्यार्थियों से इस सन्दर्भ में सिर्फ इतना ही कहना है कि जिस प्रकार वे अपने खेल कूद के लिए नियम बनाते हैं ,उसी प्रकार उन्हें अपनी पढाई के सन्दर्भ में भी कुछ नियम बनने चाहिये | जिससे वे नियमपूर्वक पढाई कर सके और अपनी हर परीक्षा में सफल हो सकें |

३.याद किये हुए विषय को पुनः याद ना करना :-दोस्तों किसी भी विषय को मात्र एक बार पढ़ लेने भर से काम नही चलता | अगर हम पढ़े हुए विषय को फिर ये और नियम पूर्वक याद नही करेंगे तो वह विषय हमारे दिमाग की मेमोरी से फिर से गायब हो जायगा तथा जरूरत पड़ने पर याद नही आयगा | इसी कारण से कई छात्र अच्छे दिमाग के होते हुए भी अपने परीक्षायों में बहुत अच्छे परिणाम नही ला पाते  हैं |

४.दिमाग को अच्छे से एवं सदैव दुरुस्त ना रखने का नियम :-दोस्तों हम सभी शायद इस बात से वाकिफ नही है की कम्प्युटर का अविष्कार हमारे दिमाग को देख कर ही किया गया है | जिस प्रकार कम्प्यूटर में मेमोरी होती है ठीक उसी प्रकार हमारे दिमाग में भी मेमोरी होती है | जिस प्रकार कम्प्यूटर को काम करने के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार हमारे दिमाग को भी उर्जा की आवश्यकता होती है | जो हमे नित्य अच्छे भोजन और सकारात्मक सोच से मिलती है किन्तु दोस्तों क्या तुम जानते हो जिस प्रकार हमारे कम्प्यूटर को आराम की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार हमारे दिमाग को भी आराम की आवश्यकता होती है लेकिन आज कल इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम अपने दिमाग को बहुत कम समय के लिए ही आराम देते है | जिस से हमारे दिमाग की कार्य क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ता है और हमारे दिमाग की कोशिकाएं कमजोर होजातीहैं | जिसके कारण हम बातों को बहुत ज्यादा समय तक याद नही रख पाते हैं | इस कारण हम अक्सर अपने विषय को अच्छे से ना याद रख पाने की वजह से परीक्षा में बेहतर परिणाम नही पाते हैं |

Related posts

Leave a Comment