दागी नेताओं पर दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए बनेगी 12 अदालतें

मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताई योजना
नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसने एक ऐसी योजना तैयार की है जिसके तहत 12 विशेष अदालतों का गठन किया जाएगा ताकि राजनेताओं के खिलाफ लंबित पड़े 1,571 मामलों की शीघ्र सुनवाई हो सके।  मंगलवार को कानून एवं न्याय मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी रीता वशिष्ठ ने शीर्ष अदालत में दो पेज के अपने एफिडेविट के जरिए कहा कि इस योजना से अदालत को एक साल के लिए यह संवैधानिक विशेषाधिकार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विशेष अदालत उन 1,581 ममलों की सुनवाई करेगी जो उम्मीदवारों ने 2014 के लोकसभा चुनाव और आठ विधानसभा चुनाव में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए जिक्र किया था।सरकार की तरफ से यह एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद दिया गया है जिसमें एक नवंबर को शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार से आपराधिक केस में फंसे राजनेताओं के खिलाफ मामलों की शीघ्र सुनवाई स्पेशल कोर्ट गठन का रोडमैप तैयार करने का आदेश दिया था। जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद और 48 विधायक हैं। 334 ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था। हलफनामे के अध्ययन से यह बात सामने आई कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं, जहां ऐसे लोगों की संख्या 12 थी. दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं।देश के विधायकों और सासंदों पर चल रहे आपराधिक मुकदमों का जल्द फैसला करने के लिए मोदी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दायर अपने हलफनामें में सरकार ने कहा है कि वो इस तरह की अदालतें बनाएगी। इन नेताओं पर यह केस उनके चुनावी हलफनामों के आधार पर दर्ज हुए हैं। बता दें कि इससे पहले चुनाव आयोग दागी नेताओं के चुनाव लडऩे पर आजीवन प्रतिबंध का समर्थन कर चुका है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 6 हफ्ते में हलफनामा पेश करने के आदेश दिए थे।

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