इन्फोसिस के कुछ निदेशकों को हटाया जाए : वी. बालाकृष्णन

नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस के पूर्व चीफ फाइनेंशिल ऑफिसर (सीएफओ) वी. बालाकृष्णन ने सुझाव दिया है कि कंपनी के निदेशक बोर्ड के कुछ सदस्यों को हटाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि पूर्व सीएफओ राजीव बंसल को कंपनी से अलग होने के लिए दिए गए भुगतान (सेवरेंस पे) में कॉरपोरेट गवर्नेस के नियमों के उल्लंघन को लेकर बाजार नियामक सेबी के पास मामला गया है। कंपनी ने सेबी से मामले के सेटलमेंट की अपील की है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ बोर्ड सदस्यों को हटाया जाना चाहिए। बालाकृष्णन ने कहा, ‘बंसल के मामले में कंपनी की अपील के बाद मेरा मानना है कि कुछ बोर्ड सदस्यों मसलन पूर्व को-चेयरमैन रवि वेंकटेशन और ऑडिट समिति की चेयरमैन रूपा कुडवा को अब बोर्ड में बनाए रखने की जरूरत नहीं है। मौजूदा घटनाक्रम में बोर्ड का पुनर्गठन किया जाना बहुत जरूरी है। बोर्ड में ईमानदार और उच्च दर्जे के लोगों को शामिल किए जाने की जरूरत है। बालाकृष्णन को इन्फोसिस के सह संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति का समर्थक माना जाता है। उन्होंने स्टॉक एक्सचेंजों के समक्ष बोर्ड में हुई सभी खामियों के लिए नारायणमूर्ति को जिम्मेदार ठहराने को भी गलत बताया। उन्होंने कहा कि बोर्ड लगातार कुछ भी गलत होने से इन्कार करता रहा है। यहां तक कि मूर्ति के सवालों को हमेशा भ्रामक अभियान कहकर खारिज किया गया। कॉरपोरेट गवर्नेस में खामी के ताजा मामले से मूर्ति का पक्ष सही साबित होता है। बंसल मामले में सबसे पहले नारायणमूर्ति ने आरोप लगाया था कि इन्फोसिस और उसके निदेशक बोर्ड ने डिसक्लोजर और कॉरपोरेट गवर्नेस के नियमों का उल्लंघन किया है। बालाकृष्णन ने कहा कि इन्फोसिस के बोर्ड को नारायणमूर्ति से माफी मांगनी चाहिए। छह दिसंबर को कंपनी ने बताया था कि बंसल को कंपनी छोडऩे के लिए किए गए भुगतान के मामले में डिसक्लोजर के नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर सेबी से आवेदन किया गया है। कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आवेदन का अर्थ ना तो उल्लंघन के आरोप को स्वीकार करना है, ना ही उसे नकारना है।

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