ऐसे बढ़ाई जा सकती है बच्चों की दिमागी क्षमता

साइंस जर्नल में छपी रिसर्च के मुताबिक, दिमाग के अलग-अलग भागों में ग्रे मैटर बढऩे से लर्निंग, फंक्शनिंग और रीडिंग प्रॉसेस बढ़ती है।
जो बच्चे फिजिकली फिट होते हैं उनमें ग्रे मैटर ज्यादा पाया जाता है। ये ग्रे मैटर उनकी अकेडमिक परफॉर्मेंस बढ़ाने में मदद कर सकता है। फिजिकल फिटनेस खास तौर पर कार्डियोरिस्परेटरी फिटनेस से फुर्ती और मस्क्युलर फिटनेस से ब्रेन में ग्रे मैटर बढ़ता है। साइंस जर्नल में छपी रिसर्च के मुताबिक, दिमाग के अलग-अलग भागों में ग्रे मैटर बढऩे से लर्निंग, फंक्शनिंग और रीडिंग प्रॉसेस बढ़ती है। शोधकर्ता फ्रैंसिस्को बताते हैं, हमारे शोध का उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या फिजिकली ऐक्टिव रहने वाले बच्चों का दिमाग कम फिजिकल फिटनेस वाले बच्चों के दिमाग से बेहतर होता है।वह बताते हैं, इसका जवाब छोटा मगर दमदार है, हां, फिजिकल फिटनेस बच्चों के दिमाग से डायरेक्टली जुड़ी है और यह फर्क बच्चों के अकेडमिक परफॉर्मेंस में भी झलकता है। इस रिसर्च में 101 बच्चों मोटे बच्चों को लिया गया जिनकी उम्र 8 से 11 साल के बीच थी। रिसर्च में ज्यादा कार्डियोरेस्परेटरी फिटनेस वाले बच्चों का ग्रे मैटर वॉल्यूम भी ज्यादा आया। हालांकि मस्क्युलर फिटनेस का दिमाग के किसी भी हिस्से के ज्यादा ग्रे मैटर से सीधा संबंध नहीं मिला। शोधकर्ताओं ने पाया, फिजिकल फिटनेस एक ऐसा फैक्टर है जिसे एक्सर्साइज करके बदला जा सकता है। फिजिकल एक्सर्साइज के जरिए बच्चों में मोटापा कम करके उनकी दिमागी क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है।

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