गुरिल्ला युद्ध के प्रशिक्षण बाद मैदान पर उतरेगी आरपीएफ

जगदलपुर। बस्तर में रेलवे की पटरियों की सुरक्षा हथियार बंद आरपीएफ  के जवानों द्वारा होगी और उन्हें गुरिल्ला युद्ध का भी प्रशिक्षण देकर तैनात किया जाएगा। इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि बस्तर में नक्सली या तो जंगलों में उत्पात मचाते हैं या फिर अपना अस्तित्व बताने के लिए रेल लाइन और हाईवे को निशाना बनाते हैं।
वर्तमान में इन स्थानों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पुलिस के कंधों पर है लेकिन अब रेलवे लाइन में नक्सलियों से निपटने के लिए आरपीएफ  की तैनाती की जा रही है। इसके लिए उन्हें बाकायदा गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण देकर मोर्चे पर तैनात किया जाएगा। आरपीएफ  जवान भी अब रेल रूट की सुरक्षा के साथ रेलवे की मूल्यवान संपत्तियों की सुरक्षा करेंगे, वह भी अस्त्र-शस्त्रों के साथ सज्जित होकर साथ ही वे जरूरत पडऩे पर नक्सलियों से गुरिल्ला लड़ाई लड़ कर लौहा लेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आरपीएफ  शीघ्र ही अपने जवानों की तैनाती बस्तर में करने वाली है। जवानों के फील्ड में आने से पहले बस्तर पुलिस के द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। यह प्रशिक्षण आरपीएफ  के जवानों को संभाग के अलग-अलग इलाकों में दिया जाएगा। रेलवे ट्रैक और इसकी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए बस्तर में आरपीएफ की 6 कंपनियों को तैनात किया जाएगा। हर कंपनी में 135 के करीब जवान होंगे।
आरपीएफ जवानों की बस्तर में तैनाती से पहले बस्तर पुलिस द्वारा यह प्रशिक्षण एक महीने का होगा। इस प्रशिक्षण में जवानों को नक्सलियों के हमले करने के तरीके, उनके द्वारा लगाए जाने वाले एंबुश व जवानों को फंासने के तरीकों के अलावा स्थानीय इलाके की परिस्थितियों से अवगत कराया जाएगा। इसके अलावा उन्हें यह भी बताया जाएगा की रेल रूट पर नक्सली कब और कैसी वारदातों को अंजाम देते हैं। प्रशिक्षण के बारे में बताया जा रहा है कि बस्तर पुलिस इच्छा है कि आरपीएफ  जिसे बस्तर में काम करने का कोई अनुभव ही नहीं है वो पहले स्थानीय परिस्थितियों को समझ लें और फिर फील्ड में काम की शुरूआत करें।
उल्लेखनीय है कि बस्तर में रेलवे को सबसे ज्यादा नुकसान नक्सलियों के कारण ही उठाना पड़ रहा है। नक्सलियों के बंद के चलते हर साल रेल यातायात लगभग 90 दिनों के लिए बंद करना पड़ता है और वर्ष 2005 से हर साल औसत एक अरब का नुकसान रेलवे को उठाना पड़ रहा है। इस साल भी एक जनवरी से लेकर अभी तक करीब 80 करोड़ का नुकसान रेलवे उठा चुका है।

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