नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अल्पपोषण व इससे संबंधित समस्याओं को रोकने और कम करने के लिए किए उठाए गए कदमों की प्रगति और प्रयासों की समीक्षा की। प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों ने इस उच्च स्तर की समीक्षा बैठक में भाग लिया। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कुपोषण और संबंधित समस्याओं की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई। बैठक के दौरान कुछ अन्य विकासशील देशों के सफल पोषण पहल पर भी चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने इस बैठक में कुपोषण, जन्म के समय कम वजन और एनीमिया को कम करने के लिए ठोस उद्देश्यों की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों के परिणाम 2022 यानि आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक दिखाई देने चाहिए। इसी महीने ‘द ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट, 2017’ आई थी जिसमें चेतावनी दी गई थी कि मां बनने में सक्षम देश की आधी से ज्यादा महिलाएं खून की कमी की बीमारी एनीमिया की मरीज हैं। भारत समेत 140 देशों पर जारी उस रिपोर्ट में कुपोषण के तीन प्रकारों को खंगाला गया था। बैठक के दौरान विभिन्न सरकारी योजनाओं की प्रगति को लेकर भी बात हुई। साथ इसे जिलों को लेकर भी चर्चा हुई, जिन्होंने इनमें खराब प्रदर्शन किया। बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों ने बार-बार जोर दिया कि स्वच्छ भारत अभियान, मिशन इंद्रधनुष, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और प्रधानमंत्री मतृ वंदना योजना जैसी सरकार की योजनाओं का पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए सभी को इन पर जोर देना चाहिए।
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