लश्कर छोडऩे वाले फुटबॉलर माजिद पर मुफ्ती सरकार नरम, नहीं दर्ज होगा कोई केस

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में कुछ दिन पहले आतंकी संगठ लश्कर-ए-तयैबा से जुडऩे के बाद आत्मसमर्पण करने वाले युवा फुटबॉलर माजिद खान को बड़ी राहत मिली है। भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर की मुफ्ती सरकार ने युवक के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज न करने का फैसला किया है। लश्कर-ए-तयैबा से जुडऩे के करीब एक हफ्ते बाद इस फुटबॉलर ने अपने परिवार की बात मानकर आत्मसमर्पण कर दिया था।
सेना ने 20 वर्षीय माजिद इरशाद खान को फुटबॉल में मदद करने और कैरियर बनाने का मौका देने का वादा भी किया है। सेना का यह नरम रवैया कश्मीर में बीते एक साल से आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा उसकी कड़ी नीतियों के बिल्कुल उलट है। यह बदलाव साफ दर्शाता है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती दिल्ली तक यह बात पहुंचाने में सफल रही हैं कि कश्मीर में बंदूक उठा रहे युवाओं को लेकर दरियादिली दिखाने की जरूरत है।
मुफ्ती सरकार पहले भी ऐसे कश्मीरी लड़ाकों को मुठभेड़ में मारने के बजाय जिंदा पकडऩे की बात कहती रही हैं। आईजीपी कश्मीर मुनीर खान ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाला युवक कश्मीरी समाज का हिस्सा है और उसे अच्छी जिंदगी जीने का पूरा हक है। बता दें, जिला स्तर का फुटबॉल खिलाड़ी रह चुका माजिद मूल रूप से अनंतनाग का रहने वाला है। करीब एक हफ्ते पहले ही उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयैबा से जुडऩे का ऐलान किया था। उसके इस फैसले से परिवार, रिश्तेदार और दोस्त सब सदमे में थे। मां की भावुक अपील के बाद उसने लश्कर का साथ छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया था।
भूटिया ने की ट्रेनिंग की पेशकश
भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान बाइचुंग भूटिया ने शनिवार को लश्कर-ए-तैयबा का साथ छोड़कर आए माजिद खान को ट्रेनिंग देने की पेशकश की। माजिद एक फुटबॉलर है और बाइचुंग ने उससे जम्मू-कश्मीर की अपनी टीम तैयार करने को कहा। भूटिया ने इस बारे में जम्मू-कश्मीर फुटबॉल असोसिएशन को चिट्ठी लिखी है।

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