मुंबई।अस्पताल और घरों में रहने वाली बिल्लियों से पेट संबंधित समस्याएं इंसानों में हो सकती है। यह बात सामने आई है परेल स्थित जानवरों के कॉलेज द्वारा किए गए एक शोध में। शोध के अनुसार 72 प्रतिशत बिल्लियों के मलमूत्र से पेट से संबंधित बीमारियों को जन्म देने वाले एक या एक से अधिक पैरासाइट मिले हैं। जिससे इंसानों में पेट के साथ ही न्यूरोलॉजिकल इन्फैक्शन हो सकता है।
यह शोध बॉम्बे वेटरनरी कॉलेज और महाराष्ट्र एनिमल ऐंड फिशरी साईंस यूनिवर्सिटी के द्वारा किया गया है। शोध के अनुसार अगस्त 2012 से अक्टूबर 2012 तक परेल स्थित जानवरों के कॉलेज में भर्ती 72 बिल्लियों पर अध्ययन किया गया। अध्ययन में 72 प्रतिशत बिल्लियों के मल में इंसानों में पेट से संबंधित समस्या को जन्म देने वाले एक या एक से अधिक पैरासाइट होने की बात सामने आई।
बॉम्बे सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू ऐनिमल्स के प्रमुख डॉक्टर जे.सी. खन्ना ने कहा कि ऐसी कई बीमारियां हैं जो जानवरों से इंसानों में फैलती हैं। बिल्लियों के जरिए इंसानों में होने वाली पेट की समस्या इंसानों में देखी जा सकती है, हालांकि यह जानलेवा नहीं है। बचाव के मद्देनजर पालतू बिल्लियों की साफ -सफाई का विशेष ध्यान देने के साथ ही उनकी बीमारियों की नियमित रूप से जांच करते रहना चाहिए।
रिपोर्ट की मानें तो बिल्लियों के मल में 6 प्रकार के पैरासाइट पाए जाते हैं जिसके संपर्क में आने से बिल्ली पालने वालों और उनके साथ अधिक समय बिताने वालों में पेट संबंधित समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं यदि आदमी की रोगप्रतिरोधक क्षमता कम रही, तो वह अन्य घातक बीमारियों के चपेट में भी आ सकता है। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम श्रीवास्तव ने बताया कि उपरोक्त पैरासाइट लोगों को स्वास्थ्य संबंधित कई परेशानियां दे सकता है।
इंसानों में यह पैरासाइट कभी बिल्लियों के मल मूत्र के संपर्क में आने से तो कभी अधिक समय तक उनके साथ समय बिताने से पहुंच सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो जानवारों से इंसानों में होने वाली इस समस्या के पीछे रोग प्रतिरोधक क्षमता का मुख्य रोल है। अगर प्रतिरोधक क्षमता सही है तो ऐसी समस्याओं से बचा जा सकता है।