सुपरमॉम मैरीकॉम की शानदार वापसी

मैरीकॉम देश की संभवत: पहली खिलाड़ी है, जिन्होंने सांसद रहते हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड खिताब जीता। उन्होंने इस प्रतियोगिता में छह बार हिस्सा लिया और पांच बार 2003, 2005, 2010, 2012 और 2017 में गोल्ड मेडल जीते।
विश्वभर में महिला मुक्केबाजी का चेहरा बन चुकीं एमसी मैरीकॉम ने वियतनाम में आयोजित एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में पांचवीं बार स्वर्णपदक जीतकर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया है। 35 वर्षीय मैरीकॉम पांच बार विश्व चैंपियन रह चुकी हैं। इस तरह वे ऐसी पहली मुक्केबाज बन गयी हैं, जिन्होंने एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप में 5-5 स्वर्णपदक जीते हैं। मणिपुर की इस बाला का 48 किलोग्राम केटेगरी में इस बार मुकाबला उत्तर कोरिया की तेजतर्रार खिलाड़ी किम हयांग से था, जिसमें उन्होंने किम को एक तरफा  मुकाबले में 5-0 से पीटकर इस चैंपियनशिप का छठा पदक भी अपने नाम कर लिया। ताबड़तोड़ मुक्के बरसाते उनके ‘गोल्डन पंच’ ने अपने आक्रामक प्रतिद्वंद्वी को शून्य से आगे खिसकने का मौका ही नहीं दिया।
मैरीकॉम की यह विजय इसलिए भी उल्लेखनीय है कि घरेलू व बाहर की जिम्मेदारियों का वहन करते हुए तीन साल बाद जब अंतर्राष्ट्रीय मैदान पर लौटी तो उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी आक्रामकता के आगे सारे खिलाड़ी बौने नजर आए। यह उनके प्रतिद्वंद्वियों को करारा सबक था, जिन्होंने उन्हें गुजरे वक्त की बहार समझ लिया था। तीन बच्चों का पालन-पोषण, घर की जिम्मेदारी के साथ सांसद के कार्यभार के चलते इस जीत के प्रति उनका जज्बा सलाम का हकदार है। उन्होंने अपना खिताब भी उन लोगों को समर्पित किया, जो हर परिस्थिति में उन पर भरोसा कायम रखे हुए थे। उनका यह खिताब इसलिए भी खास है क्योंकि 2014 के एशियन गेम्स के बाद मैरीकॉम का यह पहला पदक है। 41, 45, 46 और 51 किलोग्राम वर्ग में वर्ल्ड ओलंपिक मेडल जीत चुकी मैरीकॉम एशियन चैंपियनशिप में पहली बार 48 किलोग्राम वेट कैटेगरी में उतरी थी।
मैरीकॉम देश की संभवत: पहली खिलाड़ी है, जिन्होंने सांसद रहते हुए एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड खिताब जीता। उन्होंने इस प्रतियोगिता में छह बार हिस्सा लिया और पांच बार 2003, 2005, 2010, 2012 और 2017 में गोल्ड मेडल जीते। सिर्फ 2008 में रजत पदक से संतोष करना पड़ा। 2012 में पीला तगमा जीतने के पूरे पांच साल बाद वह इस प्रतियोगिता में लौटी थी। नि:संदेह उनकी यह शानदार वापसी सलाम की हकदार है। 2013 में पद्म भूषण से सम्मानित सुपरमॉम मैरीकॉम को 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से भी नवाजा जा चुका है। 2003 में वे अर्जुन अवार्ड से सम्मानित हुई और 2006 में उन्हें पद्मश्री भी दिया गया। लगातार संघर्ष के दौर से गुजरते हुए महिला मुक्केबाजी में विजय की नयी कहानी लिखने वाली मैरीकॉम को अंतर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) ने 2010 में ‘मैग्नीफिशेंट मैरी’ का उपनाम दिया। महिला मुक्केबाजी की जीवित किंवदंती बनी मैरीकॉम को पिछले साल एआईबीए ने लीजेंड अवार्ड भी दिया।

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