बंगाल के विख्यात मिठाई निर्माता नवीन चंद्र दास ने वर्ष 1868 से पूर्व रसगुल्ले का आविष्कार किया था।
कोलकाता। रसगुल्ले पर अपने हक को लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकार के बीच पिछले कई वर्षो से विवाद चल रहा है। अब यह मामला कोर्ट पहुंचने की ओर है। क्योंकि दोनों ही राज्य रसगुल्ले की ईजाद पर अपना हक छोडऩे के पक्ष में नहीं है। पश्चिम बंगाल के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री अब्दुर्रज्जाक मोल्ला का कहना है कि वे ओडिशा को किसी हाल में रसगुल्ला ईजाद करने का हक नहीं लेने देंगे। अब इस मामले को कोर्ट ही सुलझाएगा। असल में दोनों राज्यों के बीच इस बात को लेकर खींचतान वर्षो से चल रही है कि आखिर रसगुल्ले का ईजाद कहां हुआ बंगाल कहता है कि सर्वप्रथम रसगुल्ले की ईजाद बंगाल में हुई और ओडिशा का कहता है कि हमारे यहां हुई। मोल्ला कहना है कि बंगाल रसगुल्ले का आविष्कारक है। क्योंकि, ऐतिहासिक तथ्यों से साफ है कि बंगाल रसगुल्ले का जनक है। बंगाल के विख्यात मिठाई निर्माता नवीन चंद्र दास ने वर्ष 1868 से पूर्व रसगुल्ले का आविष्कार किया था। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब भौगोलिक पहचान(जीआइ) टैग लेने की बात ओडिशा सरकार ने कही।वहां के ओडिशा के विज्ञान व तकनीकी मंत्री प्रदीप कुमार पाणिग्रही ने 2015 में मीडिया के समक्ष दावा किया कि 600 वर्ष पहले से यहां रसगुल्ला मौजूद है। उन्होंने इसका आधार बताते हुए भगवान जगन्नाथ के भोग खीर मोहन से भी जोड़ा।