राष्ट्रीय कृषि विकास योजना का बढ़ा दायरा, नियमों में भी दी जाएगी ढील

नई दिल्ली। खेती की दशा सुधारने और उसे लाभ का कारोबार बनाने के लिए सरकार ने एक और ठोस कदम उठाने का फैसला किया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में बदलाव करते हुए उसके दायरे को बढ़ा दिया गया है। कृषि मंत्रालय के इस प्रस्ताव को बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दे दी गई। इस फैसले से कृषि के ढांचागत विकास और मंडियों के सुधार को बल मिलेगा वहीं कोल्ड स्टोरेज श्रंखला बनाने में सहूलियत होगी। खेती से जुड़े अन्य उद्यम में भी इसके मद से धनराशि आवंटित की जा सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में इस मसौदे पर बुधवार को मुहर लगा दी गई। अब राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को आरकेवीवाई-रफ्तार के नाम से जाना जाएगा। योजना का दायरा और नियमों में ढील दिये जाने से उपज की आपूर्ति, बाजारों की सुविधा और कृषि ढांचे के निर्माण के साथ कृषि क्षेत्र में उद्यमिता को रफ्तार मिलेगी। वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा में सरकार का यह फैसला मुफीद साबित होगा। यह फैसला अगले तीन सालों तक लागू रहेगा। आरकेवीवाई-रफ्तार में 15,722 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाएगा। इसका उद्देश्य किसानों को मदद पहुंचाना, उन्हें प्राकृतिक जोखिम से बचाना और कृषि कार्यो को आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद बनाने के साथ कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना शामिल है। इस मद से राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय मदद में 60 फीसद हिस्सेदारी केंद्र और 40 फीसद राज्यों की होगी। जबकि पूवरेत्तर के आठ राज्यों और तीन हिमालयी राज्यों में केंद्र की मदद 90 फीसद तक रहेगी और राज्यों को मात्र 10 फीसद तक मैचिंग ग्रांट के रूप में लगाना होगा। योजना में धन को खर्च करने के फॉमरूले को भी मंजूरी दी गई है। इसके मुताबिक सालाना वित्तीय आवंटन का 50 फीसद धन खेती के बुनियादी ढांचे पर खर्च किया जाएगा जबकि 30 फीसद मूल्यवर्धन और 20 फीसद हिस्से का राज्य अपनी जरूरतों के हिसाब से खर्च कर सकेंगे। कृषि उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और नए तौर तरीके ईजाद करने को विशेष रियायत दी जाएगी।

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