नई दिल्ली । आपराधिक अपीलों की सुनवाई में होने वाली देरी पर चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से वैकल्पिक मंच की संभावना पर विचार करने का निर्देश दिया है। इसके लिए शीर्ष अदालत ने उपयुक्त कानून पारित करने या प्रशासनिक कदम उठाने की संभावना तलाशने के लिए कहा है। जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि विभिन्न हाई कोर्ट में बड़ी संख्या में आपराधिक अपील लंबित पड़े हैं। सुनवाई के लिए 10 साल से ज्यादा समय लगता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित न्याय बुनियादी अधिकार है। यदि किसी मामले की उपयुक्त समयसीमा में सुनवाई नहीं होती है तो इस अधिकार को कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को नोटिस जारी कर पीठ ने शीर्ष अदालत की मदद और उसे सूचित करने को कहा है। अतिरिक्त सालिसिटर जनरल पिंकी आनंद को इस मुद्दे के बारे में अटार्नी जनरल को बताने के लिए कहा गया है। मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता को एमकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।
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