प्रदर्शनकारियों से वसूला जाएगा संपत्ति को हुआ नुकसान, होगी जेल

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आए दिन हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचता है। लेकिन अब सरकार वैसे प्रदर्शनकारियों से काफी सख्ती से निपटने जा रही है जो सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल एन. एन. वोहरा ने राज्य सरकार के उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है जिसके तहत हड़ताल या प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जाएगी। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने गुरुवार बताया कि प्रदर्शनकारियों पर जुर्माने के साथ-साथ उन्हें 5 साल की सजा भी हो सकती है।
जम्मू ऐंड कश्मीर पब्लिक प्रॉपर्टी (प्रिवेंशन ऑफ डैमेज) (अमेंडमेंट) ऑर्डिनेंस, 2017 के तहत सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान से जुड़े मौजूदा कानूनों में बदलाव किया गया है और यह अध्यादेश तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है। आधिकारिक बयान में कहा गया है, यह व्यक्तियों/संगठनों के नुकसान पहुंचानेवाली उन गतिविधियों को रोकेगा/हतोत्साहित करेगा जिनसे सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचता है।
प्रवक्ता ने कहा कि इस अध्यादेश को 2 उद्देश्यों के लिए लाया गया है। पहला उद्देश्य यह कि सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना दंडनीय होगा और दूसरा यह कि ऐसे अपराधों को अंजाम देने के लिए उकसानेवाले सीधे-सीधे अपराध के जिम्मेदार होंगे। बंद, हड़ताल, प्रदर्शन या किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर सावर्जनिक के साथ-साथ निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो बंद या प्रदर्शन के लिए आह्वान करने वालों को 2 से 5 पांच साल की सजा हो सकती है।
इसके अलावा उनपर संपत्ति को पहुंचे नुकसान के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा।इससे पहले के कानूनों में निजी संपत्तियों के नुकसान की सूरत में कार्रवाई का प्रावधान नहीं था लेकिन अध्यादेश में इसे भी जगह दी गई है। पहले का कानून सिर्फ सरकारी संपत्ति या सरकारी संस्था के मालिकाना हक वाली संपत्ति को हुए नुकसान पर लागू होता था। प्रवक्ता ने कहा कि कि मौजूदा कानून में सुधार का फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक निर्देश को लागू करने के लिए किया गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने री-डिस्ट्रक्शन ऑफ पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टीज वर्सेस स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश ऐंड अदर्स (2009) के केस में संपत्तियों से नुकसान से जुड़े कानूनों में संसोधन का निर्देश दिया था। प्रवक्ता के मुताबिक राज्य विधानसभा का अभी सत्र नहीं चल रहा है इसलिए मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की सिफारिश पर राज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 91 के तहत अध्यादेश को लागू किया है।
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