दहेज प्रथा एक अभिशाप !

दहेज प्रथा

स्वाति सिंह  (छपरा सारण) बिहार  घर में शहनाई की गूँज , लोगों के हँसी मज़ाक , सबके चेहरे पर वो ख़ुशी, पुरे घर की सजावट और हो क्यों ना घर की लाडली बेटी की शादी जो थी | बेटी ससुराल में भी खुश रहे इसलिए उसके पिता ने उसके जन्म के साथ हीं उसके दहेज की तैयारी शुरू कर दी थी | अपनी कई इच्छाओं को अधुरा छोड़ बेटी के भविष्य की चिंता में डूबे रहते थे और इसी चिंता के कारण बेटी को आज़ादी भी नही मिल पायी और…

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20 मार्च! गौरैया दिवस!

गौरैया दिवस

सुप्रीत  (छपरा सारण ) बिहार    बचपन के वो दिन जब सुबह सुबहकी चिं.. चिं.. की आवाज़ कानों में जाती थी तो मन में बड़ा कौतुहल होता था! कभी चावल के दाने लेकर हम भी उनके साथ खेलने चले जाते थें! कभी वो अपने बच्चों को दाने खिलाती, कभी ख़ुद कुछ दाने चुन कर ले जाती! बड़ा सुकून मिलता था देख कर! और उत्साह तो और बढ़ जाता जब दाने खिलते वक़्त वो बड़ी उम्मीद से हमारी तरफ देखा करती थीं! दोपहर में घर के आँगन में रखा पानी पीने भी…

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सब कुछ याद रखा।

तरुण प्रकाश ( सीनियर एसोसिएट एडिटर, ICN ग्रुप )  आज मैंने सोच रखा था, कुछ नहीं भूलूगां आज – कुछ भी नहीं। अपने रूमाल में गांठ बांधकर रखी थी ताकि जितने बार जेब में मेरा हाथ जाये, रूमाल की गांठ मुझे मेरे संकल्प की याद दिलाती रहे। यह विधि बचपन में मुझे मेरी दादी ने बताई थी। मैंने सोच रखा था, शारीरिक- मानसिक -तकनीकी जितनी भी विधियाँ संभव है- मैं सबका सहारा लूगां लेकिन कुछ भी नहीं भूलूगां आज। कल रात में ही छोटी बेटी ने कह रखा था कि सवेरे…

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आईये, बुरा मानते हैं …..

तरुण प्रकाश ( सीनियर एसोसिएट एडिटर, ICN ग्रुप )   भाईसाहब, चलिये, होली तो खत्म हुयी, और साथ ही ‘बुरा न मानने’ की मियाद भी पूरी हुयी। ‘बुरा मानने’ के हमारे सामाजिक अधिकार हमें पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ वापस मुहैया करा दिये गये हैं । आप चाहें तो अपने इन अधिकारों की विश्वसनीयता, वैधता एवं मारक क्षमता की जांच हेतु अब बड़े आराम से बुरा मान सकते हैं । लेकिन प्रश्न आज भी उतना ही बड़ा है जो अपनी उसी पूरी खिसियाहट के साथ तन के खड़ा है कि आप बुरा…

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स्वच्छ भारत हेतु कटघरे में नागरिक योगदान

सत्येन्द्र कुमार सिंह ( एसोसिएट एडीटर-ICN ग्रुप ) यूँ तो इंसानी सोच का कलयुगी सत्य तो कलुषित है जिसमे भौतिकवाद का तड़का बड़ा ही कष्टकारक है किन्तु अपने आसपास का भौगौलिक वातावरण स्वच्छ रहे इसकी बात तो सब करते है| अगर आप किसी गली या मोड़ के पास से गुज़र जाए तो कहीं न कहीं आपको गन्दगी मिल ही जाएगी| किसे नहीं पता कि इस गन्दगी से बीमारियाँ फैलती हैं किन्तु सारा ठीकरा तो सरकार पर फोड़ने की आदत ही अपने आप में सरकारी तंत्र जैसा व्यवहार है| वर्षों से इस बावत…

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न डराओ मुझे माँ कह कर

सत्येन्द्र कुमार सिंह ( एसोसिएट एडीटर-ICN ग्रुप ) मै एक माँ हूँ| तुम मुझे अपनी पूज्य मानते हो- ऐसा तुम कहते फिरते हो| किन्तु यथार्थ की वेदी पर इसमें मुझे कोई शंका नहीं किन्तु पूर्ण विश्वास है कि इसमें अब सत्य का सत्व खत्म हो गया है| तुमने मुझे माँ के अनेक रूप में बांध दिया है| हाँ, बाँध ही दिया है क्योंकि मेरा अस्तित्व तो मृतप्राय है| आदि काल से तुमने मुझे गंगा कह कर पुकारा| अपने पाप धोते तो अच्छा था किन्तु तुमने तो अपने मल-मूत्र के साथ रासायनिक भावनाएं…

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पटेल का हो जन्मदिवस या तारीख इंदिरा के निर्वाण का: सत्येन्द्र

सत्येन्द्र कुमार सिंह ( सहायक संपादक-ICN हिंदी )  लखनऊ:  संजय बी. जुमानी से पूछा जाए तो ३१ यानी ४ नंबर को बहुत ही सशक्त अंक मानेंगे| आज ३१ अक्टूबर की तारीख अपने आप में दो महत्वपूर्ण शक्सियत के जीवन से जुड़ी हुई है| जहाँ एक ओर ५६२ रियासतें को एक भारत के रूप में जोड़ने वाले सरदार पटेल का आज जन्मदिवस है वहीं देश को आगे एवं मजबूत रखने में अपना योगदान देने वाली श्रीमती इंदिरा गाँधी का आज बलिदान दिवस भी है| इसमें कोई अचरज नहीं कि दोनों ही लौह…

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