मशाल बनाम कुल्हाड़ी

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  आखिर एक समाज में पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या मात्र तथ्य को तथ्य रूप में प्रस्तुत से और सत्य को सत्य कहने से पत्रकारिता की भूमिका का निर्वहन हो जाता है अथवा पत्रकारिता इससे भी आगे की चीज है? ‘समाज कैसे यात्रा करता है?’ प्रश्न रोचक था लेकिन अत्यंत गंभीर भी। जब यह प्रश्न मेरे सामने आया था तो कुछ देर तक तो मैं मात्र प्रश्न को समझने और उसकी तह में जाने की कोशिश करता रहा और कुछ पलों के गहन आंकलन…

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प्यारे हो सकने वाले ससुर जी

अमरेश कुमार सिंह, असिस्टेंट एडिटर ICN ग्रुप भारतीय रीति रिवाज परंपरा प्रतिष्ठा के अनुसार मैं भी शादी के योग्य होता जा रहा हूं। वैसे परंपराओं के अनुसार मुझे अपने दिखावटी पद पर अब काम करना शुरू कर देना चाहिए। जैसे कि मैं किसी कंपनी में मैनेजर हूं तो मुझे खुद को कंपनी का मालिक बता देना चाहिए। मेरी कमाई ₹10000 हो तो माहौल ऐसा बनाना चाहिए कि वह 1000000 लगे। आन, बान, शान इतनी शानदार बतानी चाहिए की मानो आपकी बेटी मेरी पत्नी बन कर नहीं आपकी वन टाइम इन्वेस्टमेंट बनकर…

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लालकिला बिक गया क्या?

प्रो. सत्येन्द्र कुमार सिंह, एडिटर-आई.सी.एन. आजकल एक खबर सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से फ़ैल रही है कि डालमियां ग्रुप ने लाल किला को 25 करोड़ रुपये में भारत सरकार से ले लिया है। दरअसल भारत सरकार के पर्यटन विभाग ने ‘अडॉप्ट अ हेरिटेज (adopt a heritage)’ योजना के अंतर्गत प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को आमंत्रित किया है कि वह भारत की प्रमुख पर्यटन स्थलों को उन्नत करें| यह कंपनियां ‘मोन्यूमेंट मित्र (monument mitra)’ के तौर पर कार्य करेंगे तथा इन स्थलों के प्रणाली एवं रखरखाव का ख्याल…

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एक अदद भारतीय की खोज

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप मेरे बेटों, मैं तुम्हारे पूर्वजों का भी पूर्वज और तुम्हारी संतानों की भी संतानों का भविष्य तुम्हारा देश, भारतवर्ष आज तुम्हें बहुत विवश होकर यह पत्र लिख रहा हूँ। इस पत्र के बहुत से अक्षर धुले हुये हैं क्योंकि इस पत्र को लिखने से पहले मैं हज़ार बार रोया हूँ। मैं सारी दुनिया को प्रेम, सद्भावना और शान्ति का संदेश देने वाला वही विश्वगुरू भारत हूँ जिसकी बुनियाद में ही अखंडता और एकता है लेकिन पिछले कई दशकों से मुझे तुमसे मात्र घोर निराशा ही…

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एक अदद भारतीय की खोज

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  मेरे बेटों, मैं तुम्हारे पूर्वजों का भी पूर्वज और तुम्हारी संतानों की भी संतानों का भविष्य तुम्हारा देश, भारतवर्ष आज तुम्हें बहुत विवश होकर यह पत्र लिख रहा हूँ। इस पत्र के बहुत से अक्षर धुले हुये हैं क्योंकि इस पत्र को लिखने से पहले मैं हज़ार बार रोया हूँ। मैं सारी दुनिया को प्रेम, सद्भावना और शान्ति का संदेश देने वाला वही विश्वगुरू भारत हूँ जिसकी बुनियाद में ही अखंडता और एकता है लेकिन पिछले कई दशकों से मुझे तुमसे मात्र घोर निराशा ही…

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स्वर्ग की खिड़की

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  लखनऊ। मैंने सुना है – समय कभी रुकता नहीं है। समय यात्रा करता है – निरंतर और अटूट। शायद आपने भी यह सुना होगा। सब कुछ नश्वर है – मात्र समय चिरंतन है । समय एक ऐसी सड़क है जो मोटी-पतली, ऊँची-नीची, टेढ़ी-मेढ़ी तो हो जाती है लेकिन कभी पीछे नहीं लौटती। समय के वाहन में कोई रिवर्स गियर नहीं होता। यह सब कुछ प्राय: सत्य लगता है । मुझे भी यह सब एक शाश्वत नियम की तरह ही महसूस होता था – एक ऐसा…

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एक सीख !

hands

मृणालिनी सिंह (छपरा सारण ) बिहार    ज़िन्दगी में कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो देखने से तो साधारण सी लगती है पर आपको अंदर तक झकझोर देती हैं । आज कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ। आज रामनवमी धूमधाम से पूरे भारत मे मनाई गई । कही झाकियां निकली तो कही सुबह से ही मंदिरो में लंबी कतारें लगी थी । मेरे लिए भी आज का दिन ख़ास था क्योंकि सुबह-सुबह मंदिर जाना था। मंदिर के रास्ते मे सुबह की ताज़ी हवा अलग ही एहसास करा रही थी। मंदिर…

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“आपने डीपी बदली क्या???”

आलोक सिंह ( न्यूज़ एडिटर-आई.सी.एन. ग्रुप )  आज शहीद दिवस है, आज ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जी को शहादत मिली थी,और उस रोज उनके चेहरे पर रत्ती भर शिकन न थी अलबत्ता अफसोस ज़रूर था कि देश आजाद न देख सके, एक तरह से ठीक ही हुआ, अगर आज के हालात देख पाते तो द्रवित होते की किनके लिए वो सूली पर चढ़ गए। आज के समय में ये दिन दो तरीके से देखे जाते हैं आपने डीपी बदला की नही और देशभक्ति का आडंबर दोनो ही सूरतों…

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बिहार दिवस है! बिहार को भी जानिए!

बिहार

22 मार्च ! बिहार दिवस ! सुप्रीत  (छपरा सारण ) बिहार पिछले कुछ सालों में मुझे देश के अलग अलग शहरों में जाने का अवसर प्राप्त हुआ था! हर एक शहर बेहतरीन और हर शहर का एक अलग ही इतिहास! हर जगह कुछ न कुछ नया जानने और सिखने को मिला! लेकिन इन सब के बीच एक बात मुझे हमेशा परेशान करती रही! जब भी लोग मुझसे पूछते कि मैं कहा से आया हूँ और मेरा जवाब जब बिहार होता, लोगों की नज़रें बदल जाती! आखिर ऐसा है क्या बिहार के…

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हाँ…. मै लड़की हूँ !!!!!

हाँ.... मै लड़की हूँ

अर्चना किशोर (छपरा सारण) बिहार हाँ, मै लड़की हूँ !!! पढ़ने में शायद थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि इसमें बताने वाली क्या बात है लेकिन ये ख़्याल आज दिल में बार-बार आ रहा है । हाँ, मै लड़की हूँ !!! क्या हुआ जो “मै कौन हूँ” और “आज मै क्या हूँ” ये सवाल खुद से नहीं कर रही या सवाल कर भी रही तो जवाब में ख़ामोशी है । हाँ, मै लड़की हूँ, मुझे क्या हुआ जो हमें बचपन में ही शर्माना, बोलने, चलने और बैठने का तरीका सिखाया…

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