सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप नहीं आसां जुनूने इश्क़ में हुशिआर हो जाना कि जैसे नींद का हमला हो और बेदार हो जाना Consciousness is not easy in love lunacy As in the attack of sleep for awakening no possibilty कहानी हो गए वो दिन कि जब खुशियां छलकती थीं तेरा सरशार हो जाना मेरा सरशार हो जाना Became tale those days when spilled around the glee And are no more my frenzy and too your frenzy न घर से वो निकलता है न मैं इक खौफ है ऐसा कहाँ…
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आइये, लूटे मज़े बरसात के
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप भूल जायें दर्द गुज़री रात के, आइये, लूटे मज़े बरसात के। सब बंधे हैं स्वार्थ की इक डोर से, कुछ यहाँ से कुछ वहाँ उस ओर से। गिद्ध है परिधान में अब हंस के, लग रहे खरगोश आदमखोर से।। अब भला संबंध हैं किस बात के, आइये, लूटे मज़े बरसात के। हम न रंगों के फँसे हैं बंध में, हम न झंडों के किसी प्रतिबंध में। धर्म के ये अर्थ खारिज कर सदा, बस, महकते आत्मा की गंध में।। हम भला किस धर्म…
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सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप कहते है लोग जां का निगह्बां है फासला आज़ार जारिया है तो दरमाँ है फासला All say that protector of life is distance Amidst continuous affliction remedy is distance घुटती हुई दिलों में तमन्नाये वस्ल है क़ुरबत गराँ हुई है तो अरज़ां है फासला Suffocate within the desire of union Costly turned nearness and cheaper became distance सूने पड़े हैं सारे मुक़ामात बंदगी बिलकुल नया ये फ़ितनाये दौरां है फासला All places of worship now are desolate Absolutely strange is this terror of time-the distance…
Read Moreजगमग बाग़ लगे
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप राजा के घर अग्निफूल के, जगमग बाग लगे । अब चाहे तो रोज़ प्रजा के, घर में आग लगे ।। (1) निकले हैं फरमान, नए कानून बनाये जायेंगे । धान प्रजा के काट, अलख हर रोज़ जलाये जायेंगे।। जल सीमित है किन्तु, लहू हर देह कलश में काफी है, नित्य रुधिर से राजमहल के, शीश धुलाये जायेंगे।। राजा के घर रंगमहल में हर दिन फाग लगे। चाहे नित्य प्रजा के आँगन, काले काग लगे ।। (2) हुई…
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सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप देती है सबक़ हमको इस क़ौल की दानाई “लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई “ It gives a lesson to us, the sagacity of the version That erred the moments and got punishment the centuries मजनूं ने मोहब्बत से की मेरी पज़ीराई देखा जो मुझे उसने होते हुए सहराई The love lunatic [Majnu] lovingly welcomed me As he saw me intending to seek dwelling in loneliness like him इंसां से मोहब्बत में हम फ़र्क़ नहीं करते हिन्दू हो मुसलमां हो वो सिख…
Read Moreउर्दू शायरी में ‘ताजमहल’
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप ताजमहल न केवल अपने आप में अनूठा है बल्कि सारी दुनिया को सदैव मोहब्बत का पैग़ाम देने वाला यह वह करश्मिाई शाहकार है जिसका आज तक कोई दूसरा विकल्प संभव ही नहीं हुआ। ताजमहल अगर मोहब्बत की सबसे खूबसूरत निशानी है तो कुछ लोग इसे दौलत के बल पर एक अंहकारी द्वारा मोहब्बत करने वाले गरीब आशिकों के मुँह पर ज़ोरदार तमाचे की शक्ल में भी देखते हैं। कुछ लोग अगर दुनिया के सात अजूबों में शामिल इस बला की खूबसूरत इमारत…
Read Moreलद्दाख में शहीद हुए देश के रणबांकुरे बेटों के लिए श्रद्धांजलि गीत
सी. पी. सिंह, एडीटर-ICN ग्रुप “चीन – द्वारा- लद्दाख – में – शहीद – मेरे – देश – के – बेटे “ ये – शहीद – हैं – मेरे – देश – के , इनको – पूजे – ये – मन | अमर -हो – गए -सब -कुछ -दे -ये, गर्व – करें -जन – मन || यों – तो , बीस – घरों – के – थे – ये – चिराग ? उन – घरों – में – हैं – इनके – ज्यों – बिविध – राग |…
Read Moreघर टूट गया
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कहानी और अब आगे उस रात घर में कोई नहीं सोया। पिताजी रात भर उठ-उठ कर टहलते रहे। माँ की आँखों से उस रात आँसू नहीं, खून बहा था। अनु की आँखें पथरा गईं थीं जिनमें सपने कभी नहीं उगते और मेरी आँखों से बस धधकता हुआ धुआँ निकलता रहा। मैं बार-बार पिताजी के अपमान का बदला लेने आर-पार की लड़ाई के लिये घर से जाना चाहता था लेकिन माँ और पिताजी ने अपना वास्ता देकर मुझे रोक लिया। वे बोले कि वे…
Read Moreदुआ: तेरी रेहमत से ये तारीकी जो है छट जाए
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप तेरी रेहमत से ये तारीकी जो है छट जाए तू जो चाहे तो सिफर तक ये वबा घट जाए O!Lord prevailing darkness must disappear Thy wish can decrease it to zero the pandemic fear वास्ता तुझको तेरी क़ुदरते बेपायां का वो दवा भेज कि बेरहम करना कट जाए We invoke the limitlessness of Thy power Send antidote which may annihilate corona fear जो बला आयी है तू उसको फ़ना करदे खुदा सारे इंसानो में यूँ फ़ज़ल तेरा बट जाए Only Thy favor can end the…
Read Moreग़ज़ल: हुस्न बिखरा है हमारे क़ल्ब के माहौल में
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप हुस्न बिखरा है हमारे क़ल्ब के माहौल में जो घिरा है रुए ज़ेबा की बहारे ज़ौल में Grace has been scattered around the atmosphere of my heart The heart, which is encircled by the elegance smart उसने इक रंगीं इशारा मेरी नज़रों को दिया मैंने सब चौपट किया दरअसल मैं था हौल में She gave a sweet hint to my eyes lovingly I made a mess of the matter as I was in a frenzy तुम बहोत मासूम हो जो ग़ैर पर तुम हो फ़िदा…
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