तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आज हम सब अपने-अपने घरों में कैद हैं और टेलीविजन व अन्य माध्यमों से अपने वर्तमान को परख रहे हैं। मोबाईल व इंटरनेट जैसी सुविधाओं की यदि खोज न हुई होती तो शायद यह पता ही नहीं चल पाता कि कौन अपने घर में है, कौन हास्पिटल में और कौन कब्रिस्तान में। हम अपनी चिंताओं व दुश्चिंताओं के मध्य कभी समय के एक किनारे से टकराते हेैं तो कभी दूसरे। मो० तौसीफ़ हमारे परिवार के वे सदस्य हैं जिनसे हम सब बेपनाह प्यार करते…
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कोरोना वायरस : सन्नाटे में साँस-2
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना आज सारे विश्व में कदम ताल कर रहा है और अजेय सा प्रतीत होता यह मानव निर्मित वायरस विश्व के बड़े से बड़े देश को भी घुटने टेकने को विवश कर रहा है। शायद आज कल मृत्यु की ऋतु आई हुई है और विश्व निर्माण के नाम पर मात्र नये कब्रिस्तान बनाने में ही व्यस्त है। शहरों, गाँवों, सड़कों, बाजा़रों, कार्यालयों, विद्यालयों व कारखानों में सन्नाटों का कब्जा है। शायद इससे पहले हमने अपनी ही साँसों की…
Read Moreछत्रपति शिवाजी का राजनैतिक दर्शन
प्रो. प्रदीप कुमार माथुर पिछले दिनों में धर्मान्धता की आंधी ने हमारा चिन्तन ही मानो कुठित कर दिया है। अपने इतिहास को समझने में हम विश्लेषण और अध्ययन के स्थान पर पूर्वाग्रहों का सहारा लेने लगे हैं। जहां एक और महाराणा प्रताप, गुरु तेग बहादुर और शिवाजी को भारतीय एकता का विरोधी बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर मुस्लिम शासकों को हिन्दु विरोधी कहा जा रहा है। सत्य यह है कि हम अंग्रेजों द्वारा पैदा किए गए मिथ्या भ्रमों के शिकार होते जा रहे हैं। यह विडम्बना ही कही…
Read Moreकोरोना वायरस : सन्नाटे में साँस-1
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप आज संपूर्ण विश्व में शोले फिल्म के इमाम साहब व वृद्ध बाप का रोल अदा करने वाले वरिष्ठ कलाकार ए.के.हंगल का एक डायलॉग ही गूँजता सुनाई पड़ रहा है, “अरे भाई! इतना सन्नाटा क्यों है?” सच है, मृत्यु के भय से दुबका हुआ मानव पूरे विश्व में आज अपने घरों में कैद होकर एक ऐसी वैश्विक तस्वीर का हिस्सा बना हुआ है जिसकी भौतिक विकास की अंधी दौड़ में हवा से होड़ लगाते विश्व के कैनवास पर उपस्थिति अंसभव प्रतीत होती थी। “जीवन चलने…
Read Moreसमय और हम: 2
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप हमारा ‘मैं’ तो सदैव हमारे साथ रहता है। वह न कभी व्यतीत होता है, न कभी उसका जन्म होता है और न ही कभी उसकी मृत्यु होती है। इस बात को और अधिक स्पष्ट करने के लिए यदि मैं आपसे पूछूँ – बचपन तो बीत गया, युवा अवस्था व्यतीत हो रही है एवं वृद्धावस्था भी आयेगी । वह कौन है आपके अंदर जो ‘बचपन’ में भी था, ‘आज’ भी है और ‘कल’ भी रहेगा। न वह कहीं गया और न ही कहीं से आएगा।…
Read Moreमैं भारत हूं
मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप सहसवान/बदायूं: भारत विश्व के प्राचीन देशों में से एक देश है। विशाल हिमालय इस देश की सरहदों का निगहबान है और गंगा जमुना नदियां इसकी (पवित्रता )की निशानी है। अनेकता में एकता इसका जेवर (आभूषण )हया और लज्जा इसके वस्त्र हैं, और धर्मनिरपेक्षता(secularism) इसकी रूहू (आत्मा) है। भारत माता के मातृत्व का कोमल आंचल इतना वसी यानी विशाल है कि इसकी ममता के आंचल तले विभिन्न प्रकार के धर्म जाति पंथ एवं संप्रदाय तथा विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोलने वाले गोरे और काले…
Read Moreसमय और हम: 1
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कल का बीता हुआ जीवन पराजित जीवन है। यदि हमने बीते कल में कोई उपलब्धि प्राप्त भी कर ली है तो आज का जीवन उसमें कुछ और जोड़ सकता है। हम वर्तमान की खिड़की से भविष्य के नए रास्ते निकाल सकते हैं। मैं और मेरी बेटी प्रतिदिन के प्रारंभ में एक दूसरे से कहते हैं “हैप्पी बर्थडे।” यदि कोई तीसरा व्यक्ति (मेरे परिवार के अतिरिक्त) इस वार्तालाप को सुनता है तो प्रायः चौंक पड़ता है – कभी कभी उपहास के भाव भी उभरते हैं…
Read Moreकोरोना वायरस : त्रासदी में शगुन-3
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप विश्व आज भयानक त्रासदी की ओर फिसल रहा है। हम सब संभव-अंसभव के मध्य खिंची महीन रेखा पर बार बार असंतुलित होते संतुलन को बनाये रखने के अथक प्रयास में जी जान से लगे हैं। सामाजिक दायित्व निर्वहन हम सभी यह ‘जानते’ हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है किंतु अब यह निर्विवादित रूप से ‘मान’ लेने का भी समय आ गया है। यह समय ‘मुसीबत आयेगी तो सिर्फ़ पड़ोसी पर आयेगी’ की सोच से उबरने का व अपने अपने सामाजिक दायित्वों के…
Read Moreअज़ाब कुदरत का-2
मोहम्मद सलीम खान, सीनियर सब एडिटर-आईसीएन ग्रुप सहसवान/बदायूं: ईश्वर धरती पर जब लोगों को या देश की सरकारों को छूट दे देता है तो दुनिया के लोग और दुनिया की सरकारें घमंड और अहंकार में इतनी चूर हो जाती हैं कि वह अपने आप को ही ईश्वर समझ बैठती है और जब ईश्वर अपनी रस्सी खींचता है तो चीख निकल जाती है इसी के परिणाम स्वरूप ज्यादातर इन्हीं देशों में समय-समय पर अलग-अलग तरह की बीमारियां जैसे स्वाइन फ्लू बर्ड फ्लू जैसी संक्रामक बीमारियां भी होती रही हैं और इन देशों…
Read Moreकोरोना वायरस : त्रासदी में शगुन-2
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप विश्व आज भयानक त्रासदी की ओर फिसल रहा है। हम सब संभव-अंसभव के मध्य खिंची महीन रेखा पर बार बार असंतुलित होते संतुलन को बनाये रखने के अथक प्रयास में जी जान से लगे हैं। शारीरिक विश्राम व मानसिक उत्थान का समय दिशाहीन होकर जानवरों के झुंड के समान भागने में न केवल हमने अपनी क्षमताओं को नष्ट किया है बल्कि हमारी रचनात्मकता भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुई है। हमारी शक्ति, बल व क्षमता का दिशाहीन होकर व्यय हो जाना न केवल…
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