रे नगिनिया………

आकृति विज्ञा ‘अर्पण’, डिप्टी ब्यूरो चीफ-ICN U.P. गोरखपुर। यह गीत लिखते समय बहुत विस्तृत लिटरेचर मन में कौंध रहा था। असाढ़ और सावन यूं कहें यह हमेशा प्रासंगिक गीत है।स्त्री मन की व्यथा ऐसी है कि वह फूलो से पत्तों से बंटती हुई हवा में घुल जाती है। सहेली होना ऐसा भाव है जहाँ’ नगिनिया ‘ उपमा दु:ख और विरह को कुरेदते अपने को ,अपनी सखी को देना सामान्य सी बात है।मैंने इस गीत को जीने के लिये इस परिदृश्य को उतरकर महसूसा है भाव तक उतरिये मज़ा आयेगा।कजरी खेलने…

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कौन जाने रचा किसने ये ऊहापोह का खेल

अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P.  कौन जाने रचा किसने ये ऊहापोह का खेल किसने बिछायी मन की बिसात पर शतरंज की बाज़ी कौन लाया इकट्ठे करके ये पुतले किसको छला गया और किसने छला लीलाधारी छद्मवेशी शपथ और तमस पथ गामी वर्जनाओं को किसने रख दिया आमने-सामने सम्बन्धों के सन्दर्भों की गणित में किसने कितना जोड़ा किसे घटाया कितने गुणे कितने भाग जीवन ने किसको कितना अवसर दिया मौका दिया और कौन किसे चुनने के लिए बाध्य किया गया परिभाषाओं की सीमायें तोड़ कौन निकला रचना की तलाश में किसके हिस्से…

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ग़ज़ल : निगोड़ा

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप  हटाया जो भी  रोड़ा है किसी ने कि यूँ मुझको झिंझोड़ा है किसी ने Removed if there was stumbling block any That way she had shaken me lovingly कहा हमसे निकालो दिल के अरमां ये शोशा खूब छोड़ा है किसी ने Fulfill your desire she permitted me This I suppose she discharged pretexts wonderfully ज़रा टूटी नहीं मेरी मोहब्बत मुझे जी भर के तोडा है किसी ने Never was broken, my love for her Although excessively me she did shatter इरादा क्या था और क्या…

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उर्दू शायरी में ‘ख़ुशबू’ : 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप ख़ुशबू न जाने कितने रंगों, कितने अहसासों, जज़बातों, ख़यालों और यादों को बाँधे रहती है। कई बार तो ये ख़ुशबू हमारी जज़बाती जिस्म की आँख तक बन जाती है और एक अदद ख़ुशबू न जाने ख़यालों में हमें क्या-क्या दिखा जाती है।   मुजाहिद फ़राज़ मुरादाबाद, भारत से ताल्लुक रखते हैं। वे एक बेहतरीन शायर हैं और उनका एक दीवान ‘बर्फ़ तपती है’ खासा चर्चित है। देखिये, वे ख़ुशबू के हवाले से क्या फ़रमाते हैं –    “ख़ुशबू ले कर चाहत की,  बस्ती…

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उर्दू शायरी में ‘ख़ुशबू’ :1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप ख़ुशबू न जाने कितने रंगों, कितने अहसासों, जज़बातों, ख़यालों और यादों को बाँधे रहती है। कई बार तो ये ख़ुशबू हमारी जज़बाती जिस्म की आँख तक बन जाती है और एक अदद ख़ुशबू न जाने ख़यालों में हमें क्या-क्या दिखा जाती है।   बारिश की कच्ची मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू कभी हमें अपने बचपन के गाँव में पहुँचा देती है तो कभी चमेली और रातरानी की ख़ुशबू अपने पिया की नगरी में। गुलाब की ख़ुशबू नेहरू की शेरवानी में टँके फूल से सुहाग…

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शब्द

अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P. शब्द साकार है निराकार है शब्द है तमस, शब्द है रजस, शब्द मनस है शब्द नाद है संवाद है शब्द है बिन्दु शब्द है इन्दु शब्द सिन्धु है शब्द प्रभारी है अधिकारी है शब्द वादक है साधक है शब्द अनिल है सलिल है शब्द चेतना है वंचना है शब्द वक्र है चक्र है शब्द है सृजना शब्द है घटना शब्द रचना है शब्द है रेखा शब्द है वृत्त शब्द वलय है शब्द लय है शब्द प्रलय है शब्द भू है शब्द स्वयंभू है शब्द सघन है…

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उर्दू शायरी में ‘बारिश’ : 3

  तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप बारिश, बरसात या सावन – ये केवल झर झर झरते पानी का ही मौसम नहीं है बल्कि ये मदमस्त कर देने वाली सोंधी सोंधी कच्ची खुश्बू का भी मौसम है। यह दुनिया के सभी साहित्यों के सबसे पसंदीदा विषय है।उर्दू शायरी में बरसात के हज़ारों रंग दिखाई पड़ते हैं और कुछ रंग तो इतने पक्के हैं जो सीधे दिल पे अल्पनायें सजा जाते हैं।    संजय मिश्र ‘शौक’ उर्दू शायरी में फ़िराक़ गोरखपुरी, चक़बस्त व कृष्ण बिहारी ‘नूर’ की तरह गैर मुस्लिम…

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उर्दू शायरी में ‘बारिश’ : 2

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप बारिश, बरसात या सावन – ये केवल झर झर झरते पानी का ही मौसम नहीं है बल्कि ये मदमस्त कर देने वाली सोंधी सोंधी कच्ची खुश्बू का भी मौसम है। यह दुनिया के सभी साहित्यों के सबसे पसंदीदा विषय है।उर्दू शायरी में बरसात के हज़ारों रंग दिखाई पड़ते हैं और कुछ रंग तो इतने पक्के हैं जो सीधे दिल पे अल्पनायें सजा जाते हैं।    निदा फ़ाज़ली उर्दू शायरी के अत्यंत लोकप्रिय शायर हैं। उर्दू की जदीद शायरी में दोहों का शानदार प्रयोग…

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उर्दू शायरी में ‘बारिश’ : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  बारिश, बरसात या सावन – ये केवल झर झर झरते पानी का ही मौसम नहीं है बल्कि ये मदमस्त कर देने वाली सोंधी सोंधी कच्ची खुश्बू का भी मौसम है। यह दुनिया के सभी साहित्यों के सबसे पसंदीदा विषय है। प्रेम का, इश्क का और मोहब्बत का हर रंग इसमें कभी गुनगुनाता हुआ, कभी मुस्कराता हुआ और कभी आँखों मे छलछलाता हुआ मौजूद है। बरसात संयोग का भी मौसम है और वियोग का भी। जिस का प्रेमी साथ में है, बारिश उसे अपनी…

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शहद से मीठी ज़बान उर्दू की शायरी से जन्मी दिल्ली की गंगा-जमुनी तहज़ीब का आख़िरी चिराग़ बुझ गया

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN क्या किसी एक शायर के चले जाने से शायरी के सफर को लगाम लग जाती है? क्या मिर्ज़ा ग़ालिब के इंतेकाल से उर्दू का कारवां रुक गया? क्या एक इंसान के गुज़र जाने से साझा विरासत तितर-बितर होकर बिख़र जाती है? क्या महात्मा गांधी के निधन से हिंदू-मुस्लिम एकता खत्म हो गई? ज़ाहिर सी बात है कि इन सभी सवालो के जवाब मे कहा जायेगा, कि “किसीे एक व्यक्ति के होने या ना होने से कोई असर नही पड़ता है और दुनिया चलती रहती है”,किंतु यह…

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