गुड पेरेंटिंग: आज और भविष्य की ज़रूरत

डॉ. प्रांजल अग्रवाल, एसोसिएट एडिटर-ICN लखनऊ। भौतिकता के इस दौर में, मकान हो या मोटर कार, क्रेडिट कार्ड हो या विदेश यात्रा, सभी भौतिक वस्तुओं तक लगभग सभी की पहुँच होती जा रही है | देखा- देखी के इस दौर में, किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से बेहतर, लोग शादी-पार्टी में अथवा गोल्ड लाउन्ज में सिनेमा देखने में अत्यधिक खर्च करना बेहतर समझते हैं | दिखावे का माहोल ऐसा बन पड़ा है की शहर में बड़े मकान से ले कर मोटर कार तक, या फिर मोबाइल फ़ोन से ले कर घड़ी/पर्स…

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समय और हम

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कल का बीता हुआ जीवन पराजित जीवन है। यदि हमने बीते कल में कोई उपलब्धि प्राप्त भी कर ली है तो आज का जीवन उसमें कुछ और जोड़ सकता है। हम वर्तमान की खिड़की से भविष्य के नए रास्ते निकाल सकते हैं। मैं और मेरी बेटी प्रतिदिन के प्रारंभ में एक दूसरे से कहते हैं “हैप्पी बर्थडे।” यदि कोई तीसरा व्यक्ति (मेरे परिवार के अतिरिक्त) इस वार्तालाप को सुनता है तो प्रायः चौंक पड़ता है – कभी कभी उपहास के भाव भी उभरते हैं…

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भगवान की ब्रांडिंग

अमरेश कुमार सिंह, असिस्टेंट एडिटर-ICN  देखिए वैसे हिंदू, मुस्लिम, सिख इसाई, आदि- इत्यादि के नाम पर हमने अपने तरीके से नीले आसमान के ऊपर बैठे अदृश्य ताकत को राम रहीम ईशा नानक जिसे विभिन्न तरह के नाम दे दिए हैं। लेकिन शायद यह जानकर आपको काफी आश्चर्य होगा कि तमाम देवी-देवता धरती पर अपनी एक ही रूप के कई ब्रांडिंग बन चुके हैं। चलिए हम देवों के देव महादेव का ही उदाहरण ले लेते हैं। महादेव का भी दायरा बंधा हुआ है। अगर हम महा ज्ञानियों के महाज्ञान के उच्च…

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सबका विश्वास कैसे

चुनाव नतीजों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलग-अलग मौकों पर जो बातें कही हैं, उनका सार यह है कि एनडीए सरकार-2 की प्राथमिकता भारतीय संविधान की रोशनी में सबको साथ लेकर चलने की है। मोदी ने स्पष्ट कहा कि चुनाव के दौरान चाहे जो भी बातें कही गई हों, उन सबका अब कोई महत्व नहीं है। बहुमत से सरकार चुनी जरूर जाती है पर चलती वह सर्वमत से है। यानी मोदी अपने विरोधियों को भी साथ लेकर चलना चाहते हैं, भले ही एक तबका इस जनादेश को ‘हिंदू जनादेश’…

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मशाल बनाम कुल्हाड़ी

तरुण प्रकाश, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  आखिर एक समाज में पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिए? क्या मात्र तथ्य को तथ्य रूप में प्रस्तुत से और सत्य को सत्य कहने से पत्रकारिता की भूमिका का निर्वहन हो जाता है अथवा पत्रकारिता इससे भी आगे की चीज है? ‘समाज कैसे यात्रा करता है?’ प्रश्न रोचक था लेकिन अत्यंत गंभीर भी। जब यह प्रश्न मेरे सामने आया था तो कुछ देर तक तो मैं मात्र प्रश्न को समझने और उसकी तह में जाने की कोशिश करता रहा और कुछ पलों के गहन आंकलन…

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भंवर में कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में खलबली है। कहा जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। कांग्रेस विश्वसनीयता के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। उसके शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं और उसकी जमीन खिसकती नजर आई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने साबित किया कि पार्टी में कोई बड़ा अंदरूनी संकट है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है। आज के दौर में चुनाव लडऩे के लिए जिस कुशल प्रबंधन की जरूरत…

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लहर के बाद सुनामी

देश के जनमानस ने भाजपा गठबंधन पर फिर से भरोसा जताकर नरेंद्र मोदी को जो नायकत्व प्रदान किया है, वह कड़वाहट भरे लंबे चुनावी कार्यक्रम के बाद आया मीठा फल है। जनता ने भले ही राज्य में किसी भी सरकार को चुना हो, मगर चाहा है कि देश का केंद्र मजबूत होना चाहिए। सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव परिणामों ने भारतीय लोकतंत्र में कई ऐसे सुखद बदलावों की ओर संकेत दिया है, जो उस वातावरण से मुक्त करता है, जो चुनाव प्रचार के दौरान नकारात्मक राजनीति के तौर पर नजर आ…

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लो आ गयी तीव्र गर्मी

डॉ. नौशीन अली, ब्यूरो चीफ आई.सी.एन. (म.प्र)  भोपाल। हर मौसम की अपनी एक अलग पहचान होती है गर्मी का मौसम भी आ चूका है और साथ में कई बीमारियों की आमद भी इस मौसम में आपको खास एहतियात बरतनी होती है। अपनी सेहत के लिए क्योंकि सूर्य देवता अपने चरम पर होते है आपको खाने-पीने से लेकर अपनी  त्वचा का भी खास ख्याल रखना होता है अगर ज़रा सा ध्यान आपका हटा उसी में आप कई बीमारियों के चक्रव्यूह में फंस सकते है। हम आपको बताएँगे की क्या और कैसे आप खुद को स्वस्थ रखे गर्मियों में होने वाली समस्याए- डीहाइड्रेशन– हमारे शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से बना है पानी हमारे लिए बहुत ज़रूरी है  मनुष्य शरीर में पानी…

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भाजपा-कांग्रेस नहीं चुनाव में तो जनता ही हारती है….

राणा अवधूत कुमार सासाराम। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोकसभा की चुनावी प्रक्रिया अपने पूरे शबाब पर है। जिसमें सभी राजनैतिक दल अपने नफा-नुकसान के आधार पर चुनाव में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में जुटे हुए हैं। इस चुनावी महाकुंभ में भाग लेने के साथ-साथ उसे समझने की प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए। आम लोगों का पूरा ध्यान सिर्फ सरकार बदलने व बनवाने में रहता है, लेकिन थोड़ा सा ध्यान हमें उन कारणों पर देना चाहिए जो राजनीति को तय करते हैं। या यूं कहे कि किन…

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फिल्मों से बरसता पैसा

मार्वल की सुपरहीरो फिल्म ‘एवेंजर्स एंडगेम की ग्लोबल बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई जारी है। ‘टाइटैनिक’ की कमाई का रिकॉर्ड तोड़कर यह ‘अवतार’ के बाद विश्व की दूसरी सबसे ज्यादा कमाऊ फिल्म बन गई है। टाइटैनिक की वर्ल्डवाइड कमाई 153 अरब रुपये थी, जिसे एंडगेम पीछे छोड़ चुकी है। केवल भारतीय बाजार में इस फिल्म ने रविवार तक 312.95 करोड़ रुपये की कमाई कर ली थी। वैसे एवेंजर्स एंडगेम की जिस तरह रोजाना कमाई के नए कीर्तिमान रच रही है, उससे लगता है कि यह दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई…

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