उर्दू शायरी में ‘आँसू’ : 4

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  हर ‘आँसू’ यानी ‘अश्क’ की अपनी ही कहानी है। चाहे खुशी हो या ग़म, आँसू अपनी दोस्ती हमेशा ही शिद्दत से निभाते हैं। सत्यता यह है कि आँसू के खारे पानी में वह आग है जो दिल पर जमी बर्फ़ को गला देती है और उसके बाद आदमी अपने-आप को हमेशा ही हल्का और तरोताज़ा महसूस करता है।   नाज़िम बरेलवी आधुनिक शायरी में एक चमकता हुआ नाम है। वे हर चीज़ को अपने अलहदा अंदाज़ में परखते हैं और उनका यह अंदाज़…

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गीत-गीता : 17

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप  (श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद) द्वितीय अध्याय (सांख्य योग) (छंद 78-85)   श्रीकृष्ण : ( श्लोक 55-72)   उस आनंदित साधक की, मति सुख सागर में खोती। पा साथ परम सत्ता का, गति उसकी स्थिर होती।।(78)   जो जीत नहीं पाता मन, एकाग्र भला कैसे हो। है शांति भाव से वंचित, दुखपूर्ण ह्रदय जैसे हो।।(79)   जिस भाँति वायु हर लेती, जल में तिरती नौका को। उस भाँति विषय पूरित मन, संपूर्ण डुबोता उसको।।(80)   हे महाबाहु, इससे ही, हैं जहाँ इंद्रियाँ वश…

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