बिट्टु बॉस, फ़ुकरे, फ़ुकरे रिटर्न और पागलपंथी में अपने हास्य किरदारों निभानेवाले अभिनेता पुलकित सम्राट अपनी कामिक़ टायमिंग और हास्य किरदारों के लिए दर्शकों के बीच लोकप्रिय है न्यू जेनरेशन एक्टर्स में पुलकित युवा दर्शकों के साथ ही फ़ैमिली आडियंस में भी काफ़ी पसंद किए जाते है । क़ोरोना की वैश्विक महामारी के चलते लाँक डाउन के बीच पुलकित सम्राट की नयी फ़िल्म की सुस्वागतम् ख़ुशामदीद का एनाउनसमेंट बालीवुड और उनके चाहनेवालो के लिए एक राहत देनेवाली खबर हैं फ़िल्म सुस्वागतम् ख़ुशामदीद एक पूरी तरह से कामेडी फ़िल्म है लेकिन…
Read MoreMonth: June 2020
गीत: कैसे बीतेंगे इंतिज़ार के दिन …
केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने नमस्कार Unlock 1 शुरू हो गया है, अब घरों में रहने की बाध्यता भले ही न हो, लेकिन सतर्कता अब और भी ज़रूरी है; यह संक्रमण काल है, ऐसे में अपनी हिफ़ाज़त हमें खुद करनी है। बेहतर होगा जब बहुत ज़रूरी हो तभी घर से निकलें, वो भी बचाव के सभी नियमों का पालन करते हुए… हम आपके लिए रोज़ नए गाने पेश करते रहेंगे, आप *घर में रहें – सुरक्षित रहें गीत – कैसे…
Read Moreगीत: आंखों में जब से जाग रहे हैं सपने कल के
केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने गीत – आंखों में जब से जाग रहे हैं सपने कल के गायिका– पुष्पा बनर्जी (वाराणसी) की बोर्ड – शुभंकर चटर्जी गिटार – विश्वजीत चटर्जी संगीतकार- केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही https://youtu.be/AXRyKQc5T-U गायिका पुष्पा बनर्जी आकाशवाणी वाराणसी तथा दूरदर्शन की कलाकार हैं. इन्होने गायन में संगीत प्रभाकर किया है. इनके गुरु ठुमरी सम्राट पंडित महादेव प्रसाद मिश्र थे. पुष्पा बनर्जी देश के विभिन्न राज्यों में अनेक कार्यक्रम दे चुकी हैं. वह कई भाषाओं में…
Read Moreगीत: नैना बहायें नीर तुम बिन कल न परे …
केवल कुमार, एंटरटेनमेंट एडिटर-ICN “घर पर रहें – घर पर सुनें” हर रोज़ नए गाने गीत – नैना बहायें नीर तुम बिन कल न परे … मिश्र राग : ताल कहरवा* गायिका – देबारति चक्रवर्ती (कोलकाता) तबला – अर्घ्यजीत चक्रवर्ती (Arghyajit Chakraborty) संगीतकार – केवल कुमार गीतकार – अशोक हमराही https://youtu.be/3hR0zfB2obQ बांग्ला और हिंदी की सुप्रसिद्ध गायिका देबारति चक्रवर्ती को संगीत विरासत में मिला। उनके पिता अजीत कुमार चक्रवर्ती जाने माने तबला वादक रहे हैं। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उन्हें अपने पिता से ही मिली। उन्होंने कथक नृत्य का प्रशिक्षण…
Read Moreमन उतना ही गीत तृप्ति के गायेगा
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप तन जितना तृष्णा-तृष्णा चिल्लायेगा । मन उतना ही गीत तृप्ति के गायेगा ।। नाखूनों से देह खुरच कर जीवन भर, काल निरंतर मूक कहानी लिखता है । बाल सुलभ, यौवन मय और बुढ़ापे के, हर स्तर पर चित्र नया ही दिखता है ।। तन की चादर झीनी होती जाएगी , मन लेकिन हर बार युवा रह जायेगा । तन का क्या आना, क्या जाना, मिथ्या है, मन का ही यौवन तन पर आ मिलता है । मन के रोने से ही आँखें…
Read Moreनकारात्मक बनाम सकारात्मक
सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप (इस कविता का आधार मरीज़ों की निगेटिव रिपोर्ट आना है और निगेटिव बस यहीं सफल है) मोहब्बत करने वालों के लिए ये आम है लोगों किसी की इक “नहीं” तो रोज़ उसका काम लोगों अज़ीयत देना और बर्बाद करना हुस्न की आदत कि इसको क्या किया जाए यही तो उनकी है फितरत सदा इंकार से ही हिज्र का हंगाम होता है इसी से कल्बे आशिक़ का बुरा अंजाम होता है कि है इंकार आतिश जो सुकूने दिल जलाती है ये है तूफ़ान जिसमें हर मसर्रत…
Read Moreकैंसर
अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘चमन’, सेवानिवृत्त अधिकारी एवं लिटरेरी एडिटर-ICN हिंदी कहानी और अब आगे जैसे-जैसे समय बीतता गया बंटी और नूरी जी, जान से एक-दूसरे पर न्यौछावर होते चले गए। जितनी भी देर स्कूल में रहते उन दोनों का उठना-बैठना, खाना-पीना, खेलना- कूदना, सब कुछ साथ ही होता था। लेकिन स्कूल से बाहर निकलते ही वे दोनों एक-दूसरे के लिए बिल्कुल अजनवी बन जाते थे। मम्मियों के द्वारा लगायी गयी पाबन्दियों का असर यह हुआ कि वे दोनों बच्चे अब बड़ी सफाई से झूठ बोलना सीख गए। नूरी की मम्मी…
Read Moreज़ुल्म की परछाइयां
अमिताभ दीक्षित, एडिटर-ICN U.P. हर तरफ हैं जुल्म की परछाइयां। घेर लेती हैं हमें रुसवाइयाँ ।। क्यों न बदलेगा लिबास-ए-जुस्तजू। पूछती हैं गौर से तनहाइयाँ।। पाँव में ले के हिनाई आरजू। बेसबब क्यों फिर रही अंगड़ाइयाँ।। रोज माथे की लकीरों से जिरह। उम्र को आवाज़ दें रानाइयाँ।। डूबने वाले को क्या क्या चाहिये। पूछती हैं रिन्द की गहराइयाँ।।
Read Moreनस्लवाद और हमारी दोगली मानसिकता
एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। “पृथ्वी पर स्वर्ग” जैसी कल्पना को साकार करने का दावा करने वाली अमेरिकी सरकार का मत है,कि वह दुनिया का सबसे बड़ा समतामूलक, स्वतंत्रतामूलक और न्यायमूलक राष्ट्र है,उसका स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी विश्व की सारी मानव जाति के मानवाधिकारो की रक्षा का प्रतीक है। तरक्की और ताकत के नशे मे चूर अमेरिका चीन, पाकिस्तान, ईरान और तीसरी दुनिया के देशो को मानवाधिकार के नाम पर धमकाता रहता है,उन पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाने की बात करता है,अगर दूसरा देश उसकी बात ना माने तो वह…
Read Moreज़िन्दगी चलती रहेगी
तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप हम रुकें चाहे ठिठक कर, बैठ जाएँ, या, बहक कर ज़िन्दगी चलती रही है, ज़िन्दगी चलती रहेगी । (1) रात आने से कभी क्या. दिन निकलना भूलता है। वर्ष के वट पर नया इक, नित्य मौसम झूलता है।। शुष्क मौसम खींच कर, लाता हमेशा मुक्त सावन, नित्य मुरझाती हैं कलियाँ, नित्य पल्लव फूलता है।। कैद हम हो जाएँ घर में, या रुकें थक कर सफ़र में, ज़िन्दगी चलती रही है, ज़िन्दगी चलती रहेगी । (2) आँख खुलना, बंद होना, मात्र जीना…
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