ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम के द्वारा आई.सी.एन. इंटरनेशनल के पत्रकारो ने “स्वदेशी, स्वावलंबन और स्वाभिमान” का बिगुल बजाया

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली। “ग्रीन स्पॉट्स अंडर आई०सी०एन० रूलर एंटरप्रेन्योरशिप सीरीज़ – 1” नामक शीर्षक से दिनांक 28 जून को 2020 को आई०सी०एन० मीडिया हाउस द्वारा महाबली इंटर कॉलेज हसनापुर (मलिहाबाद), लखनऊ मे वेब-संगोष्ठी व वेब-कार्यशाला (वेबिनार व वेबशाप) का आयोजन किया गया जिसमे 11 ग्राम सभा के 55 गांवों के प्रतिनिधियो ने भाग लिया।आई०सी०एन० मीडिया हाउस को पत्रकारो की समाज सेवी संस्था आई०सी०एन० ट्रस्ट संचालित करती है, जिसका उद्देश्य पत्रकारिता के मूल्यो की रक्षा करना और भावी पत्रकारो को प्रशिक्षण देकर उन्हे पत्रकारिता की मुख्यधारा से जोड़ना…

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शहद से मीठी ज़बान उर्दू की शायरी से जन्मी दिल्ली की गंगा-जमुनी तहज़ीब का आख़िरी चिराग़ बुझ गया

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN क्या किसी एक शायर के चले जाने से शायरी के सफर को लगाम लग जाती है? क्या मिर्ज़ा ग़ालिब के इंतेकाल से उर्दू का कारवां रुक गया? क्या एक इंसान के गुज़र जाने से साझा विरासत तितर-बितर होकर बिख़र जाती है? क्या महात्मा गांधी के निधन से हिंदू-मुस्लिम एकता खत्म हो गई? ज़ाहिर सी बात है कि इन सभी सवालो के जवाब मे कहा जायेगा, कि “किसीे एक व्यक्ति के होने या ना होने से कोई असर नही पड़ता है और दुनिया चलती रहती है”,किंतु यह…

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मेरी ग़ज़ल

सुहैल काकोरवी, लिटरेरी एडिटर-ICN ग्रुप नहीं आसां जुनूने इश्क़ में हुशिआर हो जाना कि जैसे नींद का हमला हो और बेदार हो जाना Consciousness is not easy in love lunacy As in the attack of sleep for awakening no possibilty कहानी हो गए वो दिन कि जब खुशियां छलकती थीं तेरा सरशार हो जाना मेरा सरशार हो जाना Became tale those days when spilled around  the glee And are no more my frenzy and too your frenzy न घर से वो निकलता है न मैं इक खौफ है ऐसा कहाँ…

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