“छोड़-कर-आए“

सी. पी. सिंह, एडीटर-ICN ग्रुप 

प्रवासी , तब -बने – हम , जब , बहुत -कुछ , छोड़ – कर – आए |

अपने – शुभ – गाँव -के -सारे – सुखों -से , मुहँ -मोड़ -कर – आए ||

 

बूढ़े – बाप – बहन – औ – छोटे – भाई – को |

ममता – की – मूरति – रोती – (हुई) माई – जो |

सब – आँखें – ज्यों – भरे – सपने – हैं – गाई – सो |

माँ – के – भाव – रोटी – औ – आशा – काई – हो |

बेघर -होने, पितु -घर -तजि -आए | मन -कुछ -कहे, होंठ -कछुक -गाए ||

जग , औरहि – कुछ – सुनाए ? सबु – छोड़े , तो – कुछ – पाए ??

 

घर – की – वो – चौखट – तो – है – बहुतइ – प्यारी |

“ गाँव – से – शहर” की – वो – पतली – राह – न्यारी |

दोनों – तरफ – खेत – औ – वो – खुश – हरी – क्यारी |

वो – हरदोई – जिसे – हम – कहे (सदा) हद – हमारी ? 

“ राज “ पुरखों -के -सभी -छोड़ -कर -आए ? बेघर -प्रवासी -यहाँ -कहलाए ??

मन – पर – क्या – क्या – उड़ाए ? कभी – दुखे , कभी – पढ़ाए ??

 

घर – के – द्वारे – नित – मिले – जो – वो – गलियारा |

पितु – की – हर – सीख – औ – उनका – वो – हक – सारा |

शाश्वत – बहना – की – राखी – औ – पलकों – की – धारा |

भाई – का – सब – प्यार – बन्धुत्व – पुकारा |

माँ -की -आँखों -की -आशाएं -ले -कर -आए | मुहँ -मोड़ -कर -आए ||

जग , और – ही – धुनि – गाए ? भाव , बनि – कुछ – औरहि – छाए ??

 

मेरे – गाँव – औ – शहर – के – बीच – की – वो – राह |

जिसकी , मैंने – नापी – थी , चलि – बरसों – थाह |

उसे – छोड़ते – पल , ज्यों – मेरी – निकली – आह |

उस – सब – का – नहीं – है – कम , मन – में – दाह |

मन, जब -कभी -देखे, इनकी -चाह | तब – आँसू – भरि – गाए ||

पूरे – भरि – छलकाए | को – पूँछे ? कि  – क्या – खाए ??

 

द्वारे – के – वो – खेत – नदी – भी – तो – छोड़ी ?  

वो – जो – बागों – की – गति – थी – बिविध – थोड़ी |

वहाँ – भिन्न – थी – नभ ( औ ) भू – क्षितिज – जोड़ी ?

मन – गोड़ी, पन – तोड़ी – फोड़ी, समय – ने – जो – मोड़ी ?

बड़े -होने, बड़प्पन -छोड़ -कर -आए ? मन -ने -रोए, पन -ने -गाए ??

माँ – बिनु , रोकर – अघाए ? जो – मिले , वो – ही – नचाए ??

 

प्रवासी , तब -बने – हम , जब , बहुत -कुछ , छोड़ – कर – आए |

अपने – शुभ – गाँव -के -सारे – सुखों -से , मुहँ -मोड़ -कर – आए ||

Share and Enjoy !

Shares

Related posts