एक फील गुड फ़ूड: अलसी

By: Dr. Ripudaman Singh, Associate Editor-ICN &  Dr. Hemant Kumar, Asstt. Editor-ICN अलसी एक प्रकार का तिलहन है। इसका बीज सुनहरे रंग का तथा अत्यंत चिकना होता है। फर्नीचर के वार्निश में इसके तेल का आज भी प्रयोग होता है। आयुर्वेदिक मत के अनुसार अलसी वातनाशक, पित्तनाशक तथा कफ निस्सारक भी होती है। मूत्रल प्रभाव एवं व्रणरोपण, रक्तशोधक, दुग्धवर्द्धक, ऋतुस्राव नियामक, चर्मविकारनाशक, सूजन एवं दरद निवारक, जलन मिटाने वाला होता है। यकृत, आमाशय एवं आँतों की सूजन दूर करता है। बवासीर एवं पेट विकार दूर करता है। सुजाकनाशक तथा गुरदे की…

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चिर-उरस्थ-माँ

By: C.P. Singh, Editor-ICN Group  आंख के आंसू पोंछि मेरी माँ, होंठो से मुस्काई है । जिमि खिलती शुभ धूप की गरिमा, नभ में बदरी छाई है । पन थककर, माँ के कन्धों से, पावन –पग तक आया है । त्याग और ममता बन्धों से, भरी जननी की काया है । करम- धरम के तट-बन्धों से, प्रेरित लौकिक छाया है । बच्चे- घर- दैनिक धन्धों से, मन उसका भरमाया है । घडी की सुई सी चलती मेरी माँ, रोई ना हरसाई है । आंख के आंसू पोंछि मेरी माँ, होंठो…

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श्रम का भीड़तंत्र : 1

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप कोरोना संक्रमण काल में पिछले दिनों राष्ट्रीय स्तर पर जिन बड़े चौंकाने वाले और एक सीमा तक भारतीय मानस को कंपकंपा कर रख देने वाले प्रश्नों ने जन्म लिया है, उनमें औद्योगिक समाज द्वारा श्रम की उपेक्षा और लॉक डाउन में भूख-प्यास से त्रस्त असंगठित श्रम समाज द्वारा आत्महत्या के द्वार पर दस्तक देने सरीखे दुसाहस का परिचय देना सबसे गंभीर मुद्दा है। चीन के बाद आबादी की दृष्टि से विश्व में दूसरे सबसे बड़े देश भारत में ये स्थितियां एक बड़ा यक्षप्रश्न…

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समय का गीत: 10

तरुण प्रकाश श्रीवास्तव, सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप मैं समय के सिंधु तट पर आ खड़ा हूँ, पढ़ रहा हूँ रेत पर, मिटते मिटाते लेख, जो बाँचे समय ने।   है समय अदृश्य लेकिन दृश्य है अनुपम रचाता। सिर्फ़ साक्षी है मगर, इतिहास है इसमें समाता।। यह बिना आवाज़ के ही शून्य में है गीत गाता। यह नचाता है, मिटाता है, हँसाता है, रुलाता।।   है समय अद्भुत, अनोखा, कौन इसको जान पाया। एक में निर्माण, दूजे हाथ में विध्वंस लाया।। युद्ध भी यह, बुद्ध भी यह, नीर भी है, ज्वाल…

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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 2000 से अधिक प्रवासी गरीब मजदूरों का सहारा बना प्रशान्त फाउंडेशन ट्रस्ट

देश मे कोरोना नॉवेल वायरस कोविड-19 के कारण पूरे देश मे लॉक डाउन हो जाने के वजह से लाखों परिवार सड़क पर आ गए हैं काम न मिलने की वजह से रोज कमाने-खाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के परिवार भुखमरी के शिकार हैं ऐसी परिस्थितियों में देश प्रदेश के साथ साथ जनपद में भी ऐसे ही गरीब परिवारों की मदद करने के लिए प्रशान्त फाउंडेशन ट्रस्ट इटावा आगे आया है ट्रस्ट ने लोगो को बुनियादी जरूरत के सामानों और खाद्य सामग्री के पैकेट और दवाई , मास्क , सेनिटाइजर, साबुन इत्यादि…

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“इंद्रियो पर नियंत्रण करने का अभ्यास” अथवा “इंद्रियो पर विजय पाने का अस्त्र” है “रोज़ा”

एज़ाज़ क़मर, एसोसिएट एडिटर-ICN नई दिल्ली: रोज़ा’ अथवा ‘व्रत’ और ‘उपवास’ का इतिहास पुरानी सभ्यताओ के इतिहास के समान ही पुराना है, क्योकि मानवीय सभ्यता के विकास के बाद स्वास्थ्य और धार्मिक कारणो से व्रत और उपवास की परंपरा शुरू हो गई थी,धार्मिक उत्प्रेरक तत्वो मे प्राचीन परंपराओ और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आम धारणा यह है, कि व्रत, उपवास और रोज़ा एक ही शब्द के पर्यायवाची है,किंतु वास्तव मे ऐसा नही है,क्योकि व्रत और उपवास दोनो अलग-अलग “अम्ल” (कर्म) है और इन दोनो का ‘सामूहिक कर्म’ (अम्ल)…

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