गीत–अकेले हैं यादों की महफ़िल सजाएँ….

“घर पर रहें – घर पर सुनें”
हर रोज़ नए गाने
गीत – अकेले हैं यादों की महफ़िल सजाएँ  …
पार्श्वगायिका – शारदा (मुंबई)
संगीतकार – केवल कुमार
गीतकार – अशोक हमराही

सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका शारदा (राजन आयंगर) उन गायिकाओं में से हैं, जिन्होंने हिंदी फ़िल्म जगत में अपना एक अलग मुक़ाम बनाया है। शारदा का परिवार तमिल है, लेकिन उन्हें बचपन से हिन्दी गीत गाने का शौक था।
तेहरान में एक पार्टी में फ़िल्मकार राज कपूर ने शारदा को गाते हुए सुना और मुंबई आने का न्योता दिया। मुम्बई आने पर राज कपूर ने उन्हें शंकर-जयकिशन से मिलवाया। उन्होंने शारदा से सूरज फ़िल्म का गीत गवाया “तितली उड़ी, उड़ जो चली”। ये गीत 1966 का लोकप्रिय गीत साबित हुआ। ये गीत इतना मशहूर हुआ कि इसके लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार में तब्दीली करनी पड़ी। उस समय तक फ़िल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायन के लिये एक ही श्रेणी थी (या तो किसी पुरुष या किसी महिला को मिलता), लेकिन मोहम्मद रफ़ी के “बहारों फूल बरसाओ” के साथ “तितली उड़ी” को समान वोट प्राप्त हुए। पुरस्कार तो मोहम्मद रफी को ही मिला लेकिन शारदा को इस कीर्तिमान के लिये एक विशेष पुरस्कार दिया गया और अगले साल से फ़िल्मफेयर पुरस्कार में महिला और पुरुष के लिये अलग-अलग श्रेणी बना दी गई। इसके बाद शारदा को फ़िल्मफेयर में लगातार 4 वर्षों बार नामांकित किया गया। 1960 और 70 के दशक में शारदा काफ़ी सक्रिय रहीं, इसके बाद उन्हें काम कम मिला, लेकिन वह फिर भी गाती रहीं। आज 82 साल की उम्र में भी वह उसी Passion से गीत गाती हैं। उन्होंने घर में ख़ुद का स्टूडियो बना रखा है, जहाँ वह संगीत का प्रशिक्षण देती हैं। इस गीत का Music Arrangement उन्होंने ख़ुद किया है। इस उम्र में भी उन्होंने संगीत प्रेमियों के लिए गीत गाया, इसके लिए हम उनके आभारी हैं … उनका गाया हुआ ये गीत ज़रूर सुनिए… Like करिए… Share करिए … और अपने विचार भी अवश्य लिखिए।

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