प्लेन की तर्ज पर विंडो सीट के लिए ज्यादा पैसे मांग सकता है रेलवे

नई दिल्ली। रेलवे में अब फ्लेक्सी फेयर खत्म होने की संभावना तो नहीं है लेकिन उसमें बदलाव पर विचार हो रहा है। फ्लेक्सी फेयर को एयरलाइंस के डाइनैमिक प्राइसिंग की तर्ज पर बनाने की कोशिश हो रही है। इससे ज्यादा पैसेंजरों को बेस फेयर पर ही यात्रा करने का लाभ मिल सकता है। इसी तरह सबसे आगे वाली या फिर विंडो सीटों के लिए कुछ अतिरिक्त चार्ज लगाया जा सकता है। वहीं साइड बर्थ का किराया कम करने रखने की भी योजना रेलवे बना रहा है। इसके अलावा पीक सीजन में ज्यादा किराया, जबकि ऑफ सीजन में किराया कुछ कम रखा जा सकता है। फ्लेक्सी फेयर और डाइनैमिक फेयर सिस्टम में बड़ा अंतर यह है कि रेलवे ट्रेन में पहली 10 फीसदी सीटें भरते ही किराए में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर देता है। इस तरह से बेसिक किराए का फायदा ट्रेन के सिर्फ 10 फीसदी पैसेंजरों को ही मिलता है जबकि एविएशन सेक्टर में विमान की पहली 30 फीसदी सीटों पर बेसिक किराया लिया जाता है। अब विचार हो रहा है कि अगर रेलवे में भी यही व्यवस्था हो और 30 फीसदी सीटें भरने के बाद ही किराए में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाए तो इस तरह से लगभग 20 फीसदी और पैसेंजरों को कम किराए पर यात्रा का फायदा मिल सकता है।

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