संसद के शीतकालीन सत्र की तैयारी
नई दिल्ली। संसद के 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलने वाले शीतकालीन सत्र में तारीखों का ऐलान नहीं करने को लेकर बीते दिनों कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने शुक्रवार को संसद सत्र की तारीखों का औपचारिक ऐलान करते हुए कहा इस सत्र के दौरान सरकार तीन अध्यादेशों के स्थान पर तीन विधेयक पेश करेगी। इनमें दो सितंबर को जारी वस्तु एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) अध्यादेश, ऋण शोधन और दिवाला संहिता (संशोधन) अध्यादेश तथा भारतीय वन (संशोधन)अध्यादेश शामिल है। उन्होंने कहा कि संसद शीतकालीन सत्र में जहां पूरक अनुदान मांगों पर भी विचार किया जाएगा, वहीं महत्वपूर्ण विधेयकों को भी पेश किया जाएगा। उन्होंने जानकारी दी कि संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीपीए) ने संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसम्बर, 2017 से 5 जनवरी, 2018 तक आयोजित करने की सिफारिश की है। यह अवधि सरकारी कामकाज की अत्यावश्यकता के अधीन होगी। अनंत कुमार ने बताया कि शीतकालीन सत्र में कुल 14 बैठकें होंगी और यह 22 दिन तक चलेगा। संसद के आगामी सत्र के लिए विधायी कार्यसूची पर विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जबकि विधानसभा चुनावों के चलते संसद के सत्र को उसी समय आयोजित नहीं किया गया हो। यह पद्धति अतीत में विभिन्न सरकारों द्वारा अनेक अवसरों पर अपनाई जाती रही है। अनंत कुमार ने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे महत्वपूर्ण विधेयकों पर उपयोगी और रचनात्मक बहस में सहयोग करें और संसद के दोनो सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलना सुनिश्चित करें। तीन तलाक और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में अनंत कुमार ने कहा कि भारत की जनता की यह प्रबल इच्छा है कि इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद कानून बनाए और सरकार लोगों की इच्छा पूरी करने के प्रति वचनबद्ध है। गौरतलब है कि संसद के शीत सत्र में देरी को लेकर मोदी सरकार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आमतौर पर संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे सप्ताह में बुलाया जाता है जो दिसंबर की तीसरे सप्ताह तक चलता है।