देश की पहली महिला डॉ. रुक्माबाई की 153वीं जयंती, गूगल ने डूडल बना कर दी श्रद्धांजलि

डॉ. रुखमाबाई

जब आप आज गूगल खोलेंगे तो उसपर बने डूडल के रूप में एक सज्जन सी महिला गले में स्टेथोस्कोप पहनें दिखेंगी और अस्पताल के पीछे चित्रण कर उन्हें ये सम्मान दिया है।

आज गूगल ने भारत की पहली महिला डॉक्टर रुख्माबाई के 153 जन्मदिवस पर डूडल समर्पित किया है। रुख्माबाई का जन्म बॉम्बे में 1864 को हुआ था।

रुख्माबाई एक ऐसी महिला थी जिनकी सोच अपने समय से बहुत आगे थी। जब भारत अंग्रेजी साम्राज्य का गुलाम था तब उन्होंने डॉक्टर बनने की ठानी और वह पढ़ाई करने के लिए सात समुद्र पार कर लंदन गई थी।

डॉ. रुखमाबाई

रुख्माबाई बाल विवाह का शिकार हो चुकी थी। जब वह 11 साल की थी उनकी 19 साल के दादाजी भीकाजी राउत से शादी कर दी गई थी। रुख्माबाई जब बड़ी हुईं तब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और उन्होंने अपने पति के घर जाने से इंकार दिया था।

68 साल की लंबी लड़ाई के बाद हिंदू मैरिज एक्ट पास हुआ जिसके मुताबिक वैवाहिक संबंधों के लिए पति और पत्नी की दोनों की मर्जी जरूरी है. हिंदू लेडी के नाम से मशहूर हुईं रुक्माबाई ने अखबारों में कई पत्र लिखे जिस पर उन्हें काफी समर्थन भी मिला. जब उन्होंने पढ़न की इच्छा जताई तो उनके समर्थन में फंड इकट्ठा हो गया जिससे वे इंग्लैण्ड में लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन में पढ़ने का मौका मिला. पढ़ाई पूरी करने के उन्होंने भारत लौट कर राजकोट के एक महिला अस्पताल में काफी सालों तक काम किया. 25 सितंबर 1991 में उनका देहांत हो गया.

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