सिनेमा जगत के पितामह थे वी शांताराम गूगल ने डूडल लगा किया याद

वी शांताराम

मुंबई। सिनेमा जगत के पितामह थे वी शांताराम गूगल ने डूडल लगा किया याद  वी शांताराम एक ऐसे फिल्मकार के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने सामाजिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि पर अर्थपूर्ण फिल्में बनाकर लगभग छह दशकों तक सिने दर्शकों के दिलों में अपनी खास पहचान बनाई। वी शांताराम मूल नाम राजाराम वानकुदरे शांताराम का जन्म 18 नवंबर 1901 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी। उनक रूझान बचपन से ही फिल्मों की ओर था और फिल्मकार बनना चाहते थे। हालांकि करियर के शुरूआती दौर में गंधर्व नाटक मंडली में उन्होंने पर्दा उठाने का भी काम किया ।

वी शांताराम

शांताराम ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1921 में आई मूक फिल्म सुरेख हरण से की थी. इस फिल्म में उन्हें बतौर अभिनेता काम करने का मौका मिला था.

सत्तर के दशक में वी शांताराम ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म झांझर वी शांतराम निर्देशित अंतिम फिल्म साबित हुई। फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गई जिससे वी शांताराम को गहरा सदमा पहुंचा और उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया । वी शांताराम को अपने करियर में मान-सम्मान भी बहुत मिला। वर्ष 1985 फिल्म निर्माण में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वह फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च सम्मान दादा फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किए गए। इसके अलावा वर्ष 1992 में उन्हें पद्मविभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया ।

वी शांताराम

वर्ष 1929 में उन्होंने प्रभात कपंनी फिल्मस की स्थापना की, प्रभात कंपनी के बैनर तले वी. शांतराम ने गोपाल कृष्णा, खूनी खंजर, रानी साहिबा और उदयकाल जैसी फिल्में निर्देशित की. शांताराम ने अपने छह दशक लंबे फिल्मी करियर में लगभग 50 फिल्मों को निर्देशित किया. दर्शकों के बीच खास पहचान बनाने वाले महान फिल्मकार वी. शांताराम 30 अक्टूबर 1990 को इस दुनिया से विदा कर गए.

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