आसियान सम्मेलन में मिले मोदी, ट्रंप और आबे, चीन की बढ़ी टेंशन

मनीला। फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में सोमवार से शुरू हुए 31वें आसियान सम्मेलन में चीन के दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों को लेकर घेरा जा सकता है। इस बैठक में उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण और कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव समेत कई मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा हो सकती है। सम्मेलन के इतर पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप तथा जापान के पीएम शिंजो आबे के बीच भी बैठक होने की संभावना है। बता दें कि रविवार को ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के नेताओं के बीच चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देने के लिए बैठक हो चुकी है। इससे पहले आज आसियान सम्मेलन का रंगारंग उद्घाटन हुआ। इस समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी समेत दुनिया के कई देशों के नेता मौजूद रहे। उद्घाटन समारोह में कलाकारों ने रामायण का शानदार मंचन किया गया।
फिलीपीन्स के राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुटर्टे ने पीएम मोदी की सम्मलेन में अगवानी की। आज ही मोदी और दुटर्टे की द्विपक्षीय बैठक होगी। ट्रंप-मोदी की बैठक पर भी सबके नजरें रहेंगी। ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी की जमकर तारीफ करते हुए कहा था कि मोदी ने भारत के लोगों को एक किया है। उन्होंने साथ ही कहा था कि भारत में विकास को भी गति मिली है। ट्रंप ने इसी मंच से चीन की व्यापारिक नीतियों के लिए उसे झिड़का भी था। माना जा रहा है कि इस बैठक में चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी भी हो सकती है
बता दें कि आसियान दक्षिण पूर्व एशिया के 10 प्रभावशाली देशों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलयेशिया, म्यांमार, फिलीपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) का समूह है। इस साल का वार्षिक शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब दक्षिण चीन सागर में चीन आक्रामक रवैया अपनाए हुए है और उत्तर कोरिया ने हाल के महीनों के कई मिसाइल परीक्षण किए हैं। ये दोनों मुद्दे आसियान शिखर बैठक की चर्चा के दौरान प्रमुखता से उठ सकते हैं। गौरतलब है कि आसियान देश नई दिल्ली की विदेश नीति के केन्द्र रहे हैं। 1992 में तत्कालीन पीएम पी. वी. नरसिम्हा राव ने लुक ईस्ट पॉलिसी लॉन्च की थी। क्षेत्रीय देशों के संगठनों से सहयोग बढ़ाने के लिए पीएम मोदी ने इसे ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी में बदल दिया है।
उधर, चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग कहा कि पेइचिंग दक्षिण चीन सागर को सहयोग और दोस्ती का सागर बनाने और इसके विकास की संभावनाएं तलाश करने की बात कही है। ली ने एक समाचार पत्र में लिखा, चीन समुद्री मुद्दों को उचित तरीके से सुलझाने के लिए फिलीपीन्स के साथ मिलकर काम करता रहेगा। उल्लेखनीय है चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है, वहीं आसियान के सदस्य देश वियतनाम, फिलीपीन्स और ब्रुनेई सहित अन्य देश भी इसके कुछ हिस्सों पर अपने-अपने दावे पेश करते हैं, जिसके कारण लंबे समय से विवाद चल रहा है।
इससे पहले रविवार को ही चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका एकसाथ आए। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और उसके भविष्य की स्थिति पर चारों देशों ने मनीला में पहली बार चार पक्षीय वार्ता की। चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत के बीच इन देशों ने माना है कि स्वतंत्र, खुला, खुशहाल और समावेशी इंडो-पसिफिक क्षेत्र से दीर्घकालिक वैश्विक हित जुड़े हैं। गौरतलब है कि चीन अपने महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट वन वेल्ट वन रोड के जरिए पूरी दुनिया में दबदबा बढ़ाना चाहता है। दक्षिण चीन सागर के इलाके में उसका कई पड़ोसी देशों से विवाद है। हिंद महासागर के क्षेत्र में भी वह अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगा है। ऐसे में यह नया मोर्चा काफी महत्व रखता है।

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