नई दिल्ली। जजों के नाम पर कथित रिश्वतखोरी के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 2 जजों की बेंच के उस ऑर्डर को रद्द कर दिया, जिसमें मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच बनाने को कहा गया था।
आदेश में कहा गया कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को ही सुप्रीम कोर्ट में काम बांटने का अधिकार है। मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सहित अन्य जजों और याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण के बीच गर्मा-गरम बहस हुई।
चीफ जस्टिस मिश्रा ने सख्त टिप्पणी में कहा कि इस आदेश (संविधान पीठ) के खिलाफ दिया गया कोई भी आदेश जरूरी नहीं रहेगा और इसे रद्द समझा जाएगा। उन्होंने मीडिया के मामले को रिपोर्ट करने से रोकने के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि वह वाक्य अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता में भरोसा रखते हैं।
भूषण ने अपनी आवाज तेज करते हुए चीफ जस्टिस से मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने को कहा क्योंकि सीबीआई की एफआईआर में कथित तौर पर उनका भी नाम है। सीजेआई ने बदले में भूषण से प्राथमिकी की सामग्री को पढऩे को कहा और उन्हें अपना आपा खोने के खिलाफ चेतावनी दी। भूषण के साथ याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता कामिनी जायसवाल भी थीं।
जस्टिस मिश्रा ने कहा, ”मेरे खिलाफ निराधार आरोप लगाने के बावजूद हम आपको रियायत दे रहे हैं और आप उससे इनकार नहीं कर सकते। आप आपा खो सकते हैं लेकिन हम नहीं। भूषण ने कथित तौर पर न्यायाधीशों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन की मांग करते हुए कहा कि सीजेआई का नाम इसमें है। भूषण एनजीओ ‘कैंपेन फॉर जूडिशियल एकाउन्टैबिलिटी और जायसवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। भूषण को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने भी फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि अगर कोई कहता है कि सीजेआई को इस मामले पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए तो क्या यह कोर्ट की अवमानना नहीं है।
इसके बाद सीजेआई ने कहा कि मेरे खिलाफ कौन सी एफआईआर, यह बकवास है। एफआईआर में मुझे नामजद करने वाला एक भी शब्द नहीं है। हमारे आदेश को पहले पढ़ें, मुझे दुख होता है। आप अब अवमानना के लिए जिम्मेदार हैं। भूषण ने पीठ को उन्हें अवमानना का नोटिस जारी करने की चुनौती दी और कहा कि उन्हें बोलने की अनुमति दिए बिना इस तरीके से सुनवाई नहीं चल सकती। लेकिन सीजेआई ने कहा कि आप अवमानना के लायक नहीं हैं। भूषण सुनवाई के दौरान न्यायालय से यह आरोप लगाते हुए बाहर निकल गए कि अदालत ने सबको सुना, लेकिन उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अदालत कक्ष से निकलने के दौरान उनके साथ वस्तुत: धक्का-मुक्की हुई।